बिहार के पूर्णिया में राजीगंज पंचायत है. इस पंचायत के टेटगामा गांव में वार्ड-10 है. यहां मातमी सन्नाटा पसरा है. यहां रविवार को एक ही परिवार के पांच लोगों की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई. वारदात के बाद गांव के अधिकतर लोग घरों पर ताला लगाकर गायब हैं. गलियों में पुलिस गश्त कर रही है. पुलिस ने इस मामले में 23 नामजद और 150 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है, लेकिन यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.
अंधविश्वास की वजह से बाबूलाल उरांव (पति), सीता देवी (पत्नी), मो कातो (मां), रानी देवी (बहू) और मनजीत (बेटा) को जिंदा जला दिया गया. पुलिस की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो वहां पर सिर्फ जले हुए कपड़े मिले. वहां पर मकई के डंठल रख दिए गए थे. डीआईजी प्रमोद कुमार, डीएम अंशुल कुमार और एसपी सहरावत ने भी घटनास्थल का जायजा लिया है. जली हुईं लाशों को तालाब में फेंक दिया गया था. तालाब जलकुंभी से भरा हुआ था. लाशें जलकुंभी में ही दबी हुई पुलिस को मिलीं.
हत्याकांड के पीछे की मूल वजह क्या?
टेटगामा वार्ड-10 में रामदेव उरांव का परिवार रहता है. रामदेव का बेटा बीमार चल रहा था. परिवार ने बेटे की झाड़फूंक कराई थी, लेकिन उसकी तबीयत बिगड़ती ही गई और उसकी मौत हो गई. रामदेव को गांव के ही बाबूलाल उरांव और उसके परिवार पर तंत्र-मंत्र और काले जादू का शक था. उसने आरोप लगाया कि बाबूलाल के परिवार ने काला जादू कर उसके बेटे को मार दिया. परिवार की महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाया गया.
रात में बैठी पंचायत
गांव में ही रविवार रात नौ बजे पंचायत बैठी. आसपास के लगभग तीन गांवों के 300 लोग इस पंचायत में शामिल हुए. दो घंटे तक पंचायत बैठी. पंचों ने एक स्वर में बाबूलाल और उसके परिवार को जिम्मेदार ठहराया. इसके बाद रात लगभग एक बजे पांचों सदस्यों को उनके घर से लगभग 50 फीट दूरी पर ले जाया गया. पहले बेरहमी से पीटा गया, फिर रस्सी से बांध दिया गया. इसके बाद इन्हें जिंदा जला दिया गया.
वारदात के वक्त सैकड़ों लोग वहां मौजूद थे. परिवार रहम की भीख मांगता रहा, लेकिन किसी का भी दिल नहीं पसीजा. भीड़ में से कोई भी शख्स उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. वो रोते रहे, चिल्लाते रहे, गिड़गिड़ाते रहे…सब उन्हें जिंदा जलते देखते रहे.
पुलिस ने गांव के डीलर से की बात
इस घटना पर पुलिस के सामने गांव का कोई व्यक्ति बोलने को तैयार नहीं हो रहा है. पुलिस ने गांव के डीलर से भी बात की है, लेकिन वो भी संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है. अफसरों ने उसकी फटकार भी लगाई है. पुलिस ने उसके मोबाइल को जब्त कर लिया है और जांच के लिए भेजा है.
बाबूलाल उरांव का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था. बाबूलाल मजदूरी करके घर चलाता था. ये भी कहा जा रहा है कि वो झाड़फूंक भी करता था. इस घटना पर पुलिस की कार्यशैली पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. 300 लोगों की भीड़ ने पांच लोगों को जिंदा जला दिया, इसकी भनक स्थानीय पुलिस को कैसे नहीं लगी. एसडीपीओ पंकज शर्मा ने कहा है कि अंधविश्वास की वजह से पांच लोगों की हत्या कर दी गई. पुलिस की टीम मौके पर पहुंची थी. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.