सीजी भास्कर, 02 अप्रैल : कांग्रेस अब अपने संगठन को नए तरीके से मजबूत करने की योजना बना रही है। लगातार चुनावी हार के बाद, पार्टी जिलास्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटी है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सभी जिलाध्यक्षों से मुलाकात करेंगे, जिसमें वे बूथ से लेकर जिले की रिपोर्ट AICC को प्रस्तुत करेंगे।
इस बैठक में जिलाध्यक्ष सीधे राहुल को ग्राउंड रिपोर्ट देंगे, जिसमें संगठन की वास्तविक स्थिति और राजनीतिक समीकरणों की जानकारी शामिल होगी। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या हाईकमान का यह सीधा हस्तक्षेप प्रदेश के नेताओं की ताकत को कमजोर करेगा? या यह कांग्रेस के नए संगठनात्मक मॉडल की शुरुआत है?
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की रणनीति क्या है
राहुल गांधी कांग्रेस के संगठन को जिलास्तर से लेकर उच्च नेतृत्व तक पुनः सशक्त बनाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत, वे पहली बार सीधे जिलाध्यक्षों से संवाद कर रहे हैं। 27 मार्च से विभिन्न राज्यों के जिलाध्यक्षों को आमंत्रित किया गया था, ताकि पार्टी की ग्राउंड रिपोर्ट सीधे उच्च नेतृत्व तक पहुंच सके।
अब, 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ कांग्रेस के जिलाध्यक्षों के साथ एक बैठक होगी, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल होंगे। उनकी योजना संगठन में शक्ति वितरण को संतुलित करने की है, ताकि जिलास्तर पर नेताओं को अधिक अधिकार मिले, जबकि उच्च नेतृत्व की पकड़ भी बनी रहे।
बूथ स्तर तक कांग्रेस को मजबूत करने के इस दृष्टिकोण से राहुल प्रदेश नेतृत्व के प्रभाव को कम करते हुए संगठन की सीधी निगरानी करना चाहते हैं। इससे गुटबाजी पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन यह प्रदेश के बड़े नेताओं की भूमिका को कमजोर भी कर सकता है।
बूथ से लेकर पूरे जिले की रिपोर्ट लेकर जा रहे जिलाध्यक्ष
कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में बूथ, सेक्टर, जोन कमेटी और ब्लॉक अध्यक्षों की एक सूची तैयार की गई है। इसके साथ ही, यहां की संपत्तियों से जुड़ी सभी जानकारी AICC से प्राप्त की गई है। उन्होंने कहा, “हम 2024 से अब तक हुए सभी कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें धरना-प्रदर्शन और बैठकों का विवरण भी शामिल होगा।”
महासचिवों के बैठक में भी उठी थी बात (Rahul Gandhi)
दिल्ली में कांग्रेस महासचिवों की एक बैठक हुई, जिसमें जिलाध्यक्षों से संवाद करने से पहले चर्चा की गई। इस बैठक में दो महासचिवों ने चिंता जताई कि यदि जिलाध्यक्षों को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठकों में शामिल किया गया, तो इससे प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता की शक्ति कमजोर हो सकती है।
हालांकि, राहुल गांधी ने इस आपत्ति को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट कहा, “अगर जिलाध्यक्ष थोड़े मजबूत हो जाते हैं, तो इसमें कोई समस्या नहीं है।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे संगठन में निचले स्तर पर नेतृत्व को सशक्त बनाने और हाईकमान की सीधी पकड़ बनाए रखने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
ग्राउंड लेवल पर कंट्रोल बनाने की कवायद (Rahul Gandhi)
इस बैठक को कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्ट एकत्र करने और संगठन को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इससे यह स्पष्ट होगा कि बूथ स्तर पर कांग्रेस किन चुनौतियों का सामना कर रही है और जनता का विश्वास कैसे पुनः प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, इस बैठक का प्रभाव इससे कहीं अधिक होगा।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का जिलाध्यक्षों के साथ सीधा संवाद प्रदेश नेतृत्व की स्थिति को कमजोर कर सकता है। पहले, जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष के माध्यम से हाईकमान तक पहुंचती थी, लेकिन इस बैठक के बाद राहुल गांधी सीधे जिलाध्यक्षों से फीडबैक लेंगे, जिससे प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री की भूमिका पर असर पड़ सकता है।