सीजी भास्कर, 30 मई : रायगढ़ जिले के तत्कालीन भू-अर्जन अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल (Raigarh Land Acquisition Scam) को बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420, 467, 468, 471, 506बी, 120बी और 34 के तहत चल रहे आपराधिक मामले में हाईकोर्ट ने आरोप पत्र निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने माना कि अग्रवाल के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं हैं, न ही एफआईआर या गवाहों के बयानों में उनका उल्लेख है। जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने यह आदेश पारित किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव और मतीन सिद्दीकी ने अदालत में दलील दी कि याचिकाकर्ता ने अवार्ड पारित करते समय केवल राजस्व अधिकारी की भूमिका निभाई थी, जो जज प्रोटेक्शन एक्ट 1985 के तहत सुरक्षित है। साथ ही, विभागीय जांच भी शासन द्वारा नस्तीबद्ध की जा चुकी है। इन सभी कानूनी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए माननीय हाईकोर्ट ने अग्रवाल को आरोपों से मुक्त कर दिया।
क्या था पूरा मामला (Raigarh Land Acquisition Scam)
साल 2014 में रायगढ़ जिले के झीलगिटार गांव में भूमि अधिग्रहण के दौरान हुए कथित घोटाले में आरोप था कि फर्जी खातेदारों के नाम से बैंक खाते खुलवाकर मुआवजा राशि निकाली गई। जांच में यह खुलासा हुआ कि इसमें पटवारी, सरपंच और कुछ अन्य लोग शामिल थे। तीर्थराज अग्रवाल पर केवल इतनी जिम्मेदारी थी कि उन्होंने प्रमाण पत्रों की जांच किए बिना चेक वितरित किए। हालांकि कोर्ट ने पाया कि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं है।