सीजी भास्कर, 12 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध रतनपुर (बिलासपुर) स्थित महामाया मंदिर में अष्टमी तिथि पर माता का विशेष श्रृगांर किया गया। माता का इस तरह का विशेष श्रृंगार वर्ष में केवल तीन बार किया जाता है। माता का अष्टमी तिथि पर स्वर्ण मुकुट से श्रृंगार और भी खास बना रहा है। यह मुकुट पहली बार माता के माथे पर सजाया गया।
मंदिर समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया कि यह मुकुट शुद्ध सोने से बनवाया गया है। इसका वजह 1759 ग्राम है। नया बनवाया गया यह मुकुट पहली बार माता के माथे पर सजाया गया । मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि इससे पहले माता को जो मुकुट पहनाया जा रहा था, वह 25 साल से ज्यादा पुराना था। पुराने मुकुट का वजन लगभग 900 ग्राम था। नए मुकुट का कुल वजन एक किलो 759 ग्राम है, जो पहले वाले से करीब दोगुना है। नए मुकुट के निर्माण पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किया गया है।
मां महामाया का साल में तीन बार विशेष श्रृंगार किया जाता है। तभी इन आभूषणों का उपयोग किया जाता है। राजसी श्रृंगार जिन तीन विशेष अवसरों पर होता है उनमें दोनों नवरात्र की अष्टमी के साथ दीपावली शामिल है। मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के अनुसार माता के स्वर्ण आभूषणों को लॉकर में रखा जाता है। राजसी श्रृंगार के एक दिन पहले कड़ी सुरक्षा में उन्हें मंदिर लाया जाता है।