24 मार्च 2025 :
India-USA News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. 2 अप्रैल को यह टैरिफ कितना होगा, इसे लेकर दलाल स्ट्रीट से लेकर मिंट स्ट्रीट तक, बोर्डरूम से लेकर नीति गलियारों तक हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं. ट्रंप पहले भी कई बार कह चुके हैं कि भारत अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भी उसी अनुपात में भारत पर टैरिफ लगाएगा.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत का औसत टैरिफ 12 प्रतिशत रहा, जबकि अमेरिका का केवल 2.2 प्रतिशत था. 19 मार्च को ब्रेइटबार्ट न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत जल्द ही अपने टैरिफ में बड़ी कटौती करने वाला है, लेकिन 2 अप्रैल से हम उन पर उतना ही टैरिफ लगाएंगे, जितना वे हम पर लगाते हैं.’ अब सवाल यह उठता है कि इस फैसले का भारत पर कितना असर पड़ेगा? आइये जानते हैं कि इसका क्या प्रभाव पड़ेगा:
जानें क्या कहती है S&P Global की रिपोर्ट
नई रिपोर्ट में S&P Global ने कहा है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और अमेरिका पर कम निर्भरता उसे ट्रंप टैरिफ के प्रभाव से बचा सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जीडीपी में निर्यात का हिस्सा केवल 10 प्रतिशत है, जिससे टैरिफ का सीधा असर सीमित रहेगा.
ट्रंप ने फिर दोहराई ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ की नीति
हालांकि, कुछ सेक्टर्स पर इसका असर जरूर देखने को मिल सकता है. S&P की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का अमेरिका से कम व्यापारिक संपर्क टैरिफ जोखिम को कम करता है, लेकिन स्टील और केमिकल सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं. रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि उसके द्वारा रेटिंग प्राप्त अधिकांश भारतीय कंपनियां अस्थायी रूप से होने वाले आय नुकसान को झेलने में सक्षम हैं.
Fitch: भारत कुछ हद तक टैरिफ प्रभाव से सुरक्षित
Fitch ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत बनाए रखने का अनुमान जताया है. हालांकि, एजेंसी ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिकी व्यापार नीतियां अपेक्षा से अधिक सख्त हुईं, तो यह भारत के आर्थिक विकास के लिए बड़ा जोखिम बन सकती हैं.
Fitch के अनुसार, भारत का व्यापारिक विश्वास मजबूत बना हुआ है, और बैंक लोन सर्वे के मुताबिक, प्राइवेट सेक्टर को मिलने वाले ऋण में दोहरे अंकों की वृद्धि हो रही है. एजेंसी का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था बाहरी मांग पर कम निर्भर होने के कारण अमेरिकी टैरिफ नीतियों के असर से कुछ हद तक सुरक्षित है.
Moody’s: स्टील, ऑटो और रसायन सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित
Moody’s Ratings की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के ऑटोमोटिव, स्टील, रसायन और व्यापार-सेवा क्षेत्र अमेरिकी टैरिफ के सबसे बड़े शिकार बन सकते हैं. इससे इन उद्योगों की मांग घट सकती है और लागत बढ़ सकती है.
हालांकि Moody’s ने कहा कि खनन, तेल और गैस, शिपिंग, निवेश होल्डिंग कंपनियां और कृषि व प्रोटीन सेक्टर इस प्रभाव को सहने के लिए सबसे ज्यादा सक्षम हैं.
भारतीय विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ से भारतीय जीडीपी को 10 से 60 बेसिस प्वाइंट (BPS) का झटका लग सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का अमेरिका को सकल निर्यात, जीडीपी का केवल 2% है, जो उभरते बाजारों में सबसे कम है. हालांकि अगर अमेरिका सभी देशों पर वैश्विक टैरिफ लागू करता है, तो अमेरिका की अंतिम मांग पर भारत की घरेलू आर्थिक गतिविधि का असर दोगुना हो सकता है. इससे भारतीय जीडीपी वृद्धि दर पर 0.1% से 0.6% तक का प्रभाव पड़ सकता है.
अमेरिका तीन तरह से भारत पर टैरिफ लगा सकता है:
भारत से आयातित सभी उत्पादों पर औसत टैरिफ अंतर के आधार पर टैरिफ लागू करना.
हर उत्पाद पर भारत के टैरिफ के बराबर शुल्क लगाना.
नॉन-टैरिफ उपाय लागू करना, जैसे प्रशासनिक बाधाएं, आयात लाइसेंस की शर्तें आदि.
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि इनमें से किसी भी तरीके से भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है, लेकिन अमेरिका से भारत के व्यापारिक संबंध तुलनात्मक रूप से सीमित होने के कारण प्रभाव अन्य देशों की तुलना में कम हो सकता है.