नई दिल्ली, 22 अगस्त:
सुप्रीम कोर्ट ने संभल स्थित शाही जामा मस्जिद विवाद मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सोमवार (25 अगस्त) तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा कि फिलहाल मस्जिद परिसर की यथास्थिति बरकरार रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के 19 मई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
- मस्जिद समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि हाई कोर्ट का यह निष्कर्ष गलत है कि मामला Places of Worship Act के दायरे में नहीं आता।
- इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने सवाल किया कि क्या इस मामले को पहले से लंबित पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए?
हिंदू पक्ष की दलील
हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा:
- यह मामला Places of Worship Act से जुड़ा ही नहीं है।
- संभल मस्जिद पहले से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है।
- अधिनियम स्मारकों पर लागू नहीं होता।
- वादी केवल स्मारक तक पहुंच की मांग कर रहे हैं, न कि धार्मिक विवाद उठा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ही एक अन्य पीठ ने हाल ही में आदेश दिया है कि ASI संरक्षित स्मारक Places of Worship Act के तहत नहीं आते।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
पीठ ने जैन को सोमवार तक वह आदेश प्रस्तुत करने को कहा और कहा—
“हम असंगत आदेश नहीं देना चाहते, इसलिए फिलहाल यथास्थिति बनाए रखी जाए।”
पृष्ठभूमि
- नवंबर 2024 में निचली अदालत ने मस्जिद परिसर की जांच के लिए अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया था।
- आयुक्त के दौरे के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।
- मस्जिद समिति ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
- इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने फिलहाल स्थिति यथावत रखने का आदेश दिया है।