सीजी भास्कर, 28 फरवरी : आजादी के कई दशकों बाद भी पारंपरिक बिजली से वंचित बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा क्षेत्र के किसानों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की सौर सुजला योजना (Saur Sujala Yojana) एक वरदान बनकर उभरी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में क्रेडा विभाग ने अब तक बारनवापारा क्षेत्र में 1222 किसानों के खेतों में सौर सिंचाई पंप स्थापित किए हैं, जिससे किसान अब बिना किसी चिंता के सिंचाई सुविधा का लाभ उठाकर लाभकारी खेती कर रहे हैं।
सौर सुजला योजना (Saur Sujala Yojana) के अंतर्गत बारनवापारा क्षेत्र में 2 हार्स पावर के 3, 3 हार्स पावर के 615 और 5 हार्स पावर के 604 सौर पंप स्थापित किए गए हैं। यह योजना उन किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित हुई है, जिनके खेतों तक बिजली नहीं पहुंची थी या जिनके पास सिंचाई के अन्य संसाधन नहीं थे।
ग्राम डेबी के किसान नित्यानंद बताते हैं कि पहले सिंचाई की सुविधा के अभाव में उनकी वार्षिक आय केवल 25 से 30 हजार रुपये थी। लेकिन सोलर पंप लगाने के बाद, वे अब धान के साथ-साथ आलू, टमाटर और बरबटी जैसी सब्जियां उगाकर तीन से चार गुना अधिक आय कमा रहे हैं। इसी प्रकार, बंशराम चौहान, बसंत कुमार कैवर्त्य, अमरू राम, धनीराम बिंझवार और गौरी बाई दीवान सहित कई अन्य किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पहले किसान नदी-नालों से डीजल पंप के माध्यम से सिंचाई (Saur Sujala Yojana) करते थे, जिससे उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा ईंधन पर खर्च होता था। लेकिन सौर सुजला योजना के तहत केवल 24,800 रुपये में सौर पंप मिलने से अब उनकी यह समस्या हल हो गई है।
छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर सौर पंप उपलब्ध करा रही है। तीन हार्स पावर के पंप के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को केवल 10,000 रुपये, अन्य पिछड़ा वर्ग के किसानों को 15,000 रुपये, और सामान्य वर्ग के किसानों को 21,000 रुपये का अंशदान देना होता है।
वहीं, 5 हार्स पावर के पंप के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 15,000 रुपये, अन्य पिछड़ा वर्ग को 20,000 रुपये, और सामान्य वर्ग के किसानों को 25,000 रुपये का अंशदान देना होता है। बलौदाबाजार जिले में अब तक 5,198 सौर पंप स्थापित किए जा चुके हैं।
सौर सुजला योजना (Saur Sujala Yojana) का लाभ उठाने के लिए आवेदन कृषि विभाग, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और क्रेडा विभाग के माध्यम से किया जा सकता है। सिंचाई के लिए प्राथमिकता के आधार पर नदी, नाले, कुएं और नलकूपों को चिन्हित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना किसानों के लिए कम लागत में प्रभावी और स्थायी सिंचाई व्यवस्था प्रदान करती है।