सीजी भास्कर, 27 सितंबर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे की एकलपीठ ने 17 साल पुराने एट्रोसिटी प्रकरण में शिक्षिका अनीता सिंह ठाकुर को बरी कर दिया। SC-ST Act Verdict Chhattisgarh कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एससी-एसटी एक्ट के तहत केवल जातिसूचक शब्द बोलना, यदि अपमानित करने की नीयत न हो, तो अपराध नहीं बनता। (No Intent to Insult)
Case Background : राजनांदगांव में घटना
यह मामला राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ का है। प्राथमिक स्कूल पिपरिया में पदस्थ कार्यालय सहायक टीकमराम ने 23 नवंबर 2006 को शिकायत दर्ज कराई थी कि शिक्षिका ने जातिसूचक शब्द कहे और अपमानित किया। पुलिस ने अपराध दर्ज कर विशेष न्यायालय में चालान पेश किया।
विशेष न्यायाधीश ने 11 अप्रैल 2008 को शिक्षिका को छह माह की सजा और 500 रुपये जुर्माना सुनाया। इसके बाद शिक्षिका ने हाई कोर्ट में अपील दायर की।
SC-ST Act Verdict Chhattisgarh : अपमान की नीयत न होने पर अपराध नहीं
हाई कोर्ट ने पाया कि शिकायतकर्ता का जाति प्रमाण पत्र घटना के समय वैध नहीं था और अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि शिक्षिका ने जानबूझकर अपमान करने की मंशा से टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि शिक्षिका ने पहले भी कभी भेदभाव नहीं किया और घटना से पहले शिक्षक-चपरासी के बीच कोई विवाद नहीं था।
सिर्फ जातिसूचक शब्द कहना, अपमानजनक इरादे के बिना, एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं बनता।
गवाहों ने भी दिया समर्थन
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि गवाहों ने माना कि शिक्षिका अक्सर टीकमराम की बनाई चाय पीती थीं। प्रधानाध्यापक महेश कुमार और शिक्षक रविलाल ने भी बयान में कहा कि शिक्षिका ने कभी भेदभाव नहीं किया।
हाई कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश द्वारा 2008 में सुनाई गई सजा को रद्द कर शिक्षिका को बरी कर दिया।