सीजी भास्कर, 8 अगस्त |
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ – एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां 65 लाख की सरकारी हाई स्कूल बिल्डिंग धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गई, और इसका कारण बना गांव का सरपंच पति, जो स्कूल से खिड़की, दरवाजे, टाइल्स और चैनल गेट तक उखाड़ कर घर ले गया।
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि स्कूल के प्रभारी प्राचार्य ने इस काम की मौखिक अनुमति दे दी, लेकिन विभाग को इसकी कोई सूचना नहीं दी, और चोरी की कोई FIR तक दर्ज नहीं कराई गई।
कहां का है मामला?
यह घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बेलतरा इलाके की है, जहां शासन द्वारा करीब ₹65 लाख की लागत से एक हाई स्कूल भवन का निर्माण कराया गया था। कुछ वर्षों से स्कूल में नियमित कक्षाएं भी चल रही थीं।
लेकिन एक साल पहले मरम्मत के नाम पर स्कूल भवन को खाली करवा दिया गया और कक्षाओं को पास की दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया।
स्कूल की इमारत से गायब हो गया लाखों का सामान
जब स्कूल खाली हुआ, उसी दौरान लोहे के दरवाजे, खिड़कियां, रेलिंग, चैनल गेट और टाइल्स एक-एक कर गायब होते गए। स्थानीय ग्रामीणों ने जब देखा कि एक नई इमारत खंडहर बन चुकी है, तो उन्होंने आवाज उठाई और मामले की जांच शुरू हुई।
सरपंच पति ने सामान ले जाने की बात कबूली
जांच में सामने आया कि गांव की पूर्व सरपंच ईश्वरी बाई कौशिक के पति राम रतन कौशिक ने स्कूल का सामान खुद निकलवाया और अपने घर पहुंचाया। इसमें शामिल थे:
- 4 लोहे के दरवाजे
- 24 खिड़कियां
- 16 रेलिंग
- 8 बाथरूम रोशनदान
- 2 चैनल गेट
- फर्श की टाइल्स
लेकिन उन्होंने कहा, “मैंने जो भी सामान निकाला था, वह स्कूल को लौटा दिया था। मुझे बेवजह बदनाम किया जा रहा है।”
प्राचार्य पर गिरी गाज, लेकिन चोर पर कोई कार्रवाई नहीं
इस गंभीर लापरवाही के चलते लोक शिक्षण संचालनालय के निदेशक ऋतुराज रघुवंशी ने प्रभारी प्राचार्य कावेरी यादव को निलंबित कर दिया है।
उन पर आरोप है कि उन्होंने:
- उच्च अधिकारियों को घटना की सूचना नहीं दी
- पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई
- शासन की संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही बरती
उन्हें सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन मानते हुए निलंबित किया गया है।