सीजी भास्कर, 5 सितंबर। राजस्थान के एक छोटे से गांव की तस्वीरें आज पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल खड़ा कर रही हैं। यहां मासूम बच्चे(School Children Problem) हर सुबह किताबों से भरे बैग कंधों पर टांगकर और हाथों में जूते-चप्पल पकड़कर स्कूल पहुंचने के लिए संघर्ष करते हैं। रास्ता इतना दलदली और कीचड़ से भरा है कि जूते पहनकर चलना ही नामुमकिन हो जाता है।
गांव भल्लो का गुड़ा (कुराबड़ ब्लॉक, उदयपुर) के लोग लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक स्थिति जस की तस है। हालात यह हैं कि महज एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए बच्चों को रोजाना अपनी जूते-चप्पल उतारनी पड़ती है। कई बार तो छोटे बच्चे कीचड़ में फिसलकर गिर जाते हैं और गंदे कपड़ों में ही स्कूल पहुंचते हैं।
“ऐसे हालात रहे तो स्कूल छोड़ना पड़ेगा”
गांव के छात्रों का कहना है कि पढ़ाई का मन तो है, लेकिन रास्ता सबसे बड़ी बाधा बन गया है। छोटे बच्चों को परिजन अक्सर कंधों पर बैठाकर स्कूल तक छोड़ते हैं। बड़ी क्लास(School Children Problem) के छात्र बैग को बचाते हुए और चप्पलों को हाथ में लेकर कीचड़ पार करते हैं। बच्चों ने साफ कहा कि अगर हालात नहीं बदले तो पढ़ाई छूट जाएगी।
ग्रामीणों की नाराज़गी
गांववालों का कहना है कि कई बार इस समस्या को जिम्मेदार अधिकारियों और प्रतिनिधियों तक पहुंचाया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्कूल शिक्षक और परिजन भी सालों से इस परेशानी को देख रहे हैं, लेकिन सुनवाई सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित है।
तस्वीर जो सोचने पर मजबूर करती है
कंधे पर बैग, हाथ में जूते और कीचड़ से भरे रास्ते… यह दृश्य केवल बच्चों की मजबूरी नहीं, बल्कि विकास की सच्चाई भी बयां करता है। गांव से 25 किलोमीटर दूर शहर चमचमाती सड़कों पर दौड़ता है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा(School Children Problem) पाने की चाहत में बच्चे गड्ढों और दलदल से होकर स्कूल जाने को मजबूर हैं।