सीजी भास्कर 28 मई शशि थरूर का सितारा बुलंद है. पहलगाम अटैक के बाद से देश में अगर कोई उनको टक्कर दे रहा है, तो वो हैं असदुद्दीन ओवैसी. बाकी कोई नहीं. और, ये दोनों ही नेता विदेशों में पाकिस्तान की पोल खोल में जुटे हुए हैं – और घूम-घूम कर पूरी दुनिया को ऑपरेशन सिंदूर में भारत के स्टैंड और पाकिस्तान के दावे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने सही तस्वीर पेश कर रहे हैं
विदेश दौरे पर होने के बावजूद शशि थरूर की घरेलू राजनीति में भी चर्चा जोरों पर है. खासकर केरल की राजनीति में. शशि थरूर ने चर्चा की नींव पहले ही रख दी थी. एक तरफ शशि थरूर राष्ट्रवादी माहौल में छाये हुए थे, और ऐन उसी वक्त वो मौके का सही इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने इलाके की राजनीति के लिए कर रहे थे.शशि थरूर ने एक ही सोशल मीडिया पोस्ट से एक साथ तीन-तीन निशाने साध लिये. मामला भी माहौल को सूट कर रहा था. फिर फायदा तो कोई भी उठाना चाहता, शशि थरूर तो वैसे भी आने वाले केरल विधानसभा चुनाव पर नजर टिकाये हुए हैं.
23 मई को शशि थरूर ने X पर एक पोस्ट लिखा जिसमें तुर्किए को दी गई ₹10 करोड़ की मदद के लिए केरल की लेफ्ट सरकार को टार्गेट किया, और उसे सीधे वायनाड से जोड़ दिया. एक ऐसा मुद्दा जिसमें एक तीर से तीन निशाने साधे जा सकते थे.देखा जाये तो शशि थरूर के ये मुद्दा अब उठाये जाने का कोई असर नहीं है, लेकिन राजनीति में तो बहती गंगा में ऐसे भी हाथ धो लेने का फायदा मिलता ही है. बशर्ते, कोई दूर की कौड़ी बैठे बैठे खेलने की कोशिश करे.शशि थरूर ने राष्ट्रवाद का एजेंडा आगे बढ़ा दियाशशि थरूर ने केरल की पी. विजयन सरकार को जो मुद्दा उठाकर टार्गेट किया है, वो दो साल पुराना है.
लेकिन, पहलगाम अटैक के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए के पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हो जाने के कारण मुद्दा गंभीर है. पाकिस्तान के सपोर्ट के कारण तुर्किए के सामानों का पूरे देश में विरोध हो चुका है, और शशि थरूर ने भी उसी गर्म माहौल में सोशल मीडिया के जरिये एक बयान जारी कर दिया है.असल में, 2023 में तुर्की में आये भूकंप के बाद केरल सरकार ने मानवीय आधार पर 10 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद भेजी थी. शशि थरूर अब उसी बात के लिए सवाल उठा रहे हैं.
2023 में तुर्की और सीरिया में आये 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने ऑपरेशन दोस्त चलाया था. ऑपरेशन के तहत तुर्की और सीरिया को मानवीय सहायता भेजी गई थी.केरल की लेफ्ट सरकार ने भी तभी तुर्की को ₹10 करोड़ की वित्तीय सहायता दी थी, जिसे राज्य के बजट में भी घोषित किया गया था. ये आर्थिक मदद विदेश मंत्रालय के माध्यम से तुर्की को दी गई थी. केरल सरकार ने इसे मानवीय आधार पर दी गई मदद बताया था.