सीजी भास्कर, 31 मार्च। दिल्ली को जल्द ही लंबे इंतजार बाद यमुना रिवरफ्रंट की सौगात मिलने वाली है। यह परियोजना सराय काले खां स्थित पूर्ववर्ती मिलेनियम पार्क बस डिपो के स्थान पर विकसित की जाएगी।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह रिवरफ्रंट 25 हेक्टेयर एरिया में फैला होगा। जिसमें एक सेंट्रल पियाजा (बाजार का मैदान), टोपियरी पार्क, एक लोकल शॉपिंग सेंटर (सुंदर नर्सरी की तर्ज पर), दो पार्किंग एरिया और नदी के किनारे एक आकर्षक सैरगाह होगी।
यह प्रोजेक्ट दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा वज़ीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर लंबे यमुना नदी क्षेत्र के पुनर्विकास योजना का हिस्सा है.
Eco-Friendly सामग्रियों का होगा इस्तेमाल
इस रिवरफ्रंट को अहमदाबाद के साबरमती वॉटरफ्रंट की तरह कंक्रीट संरचना से नहीं बनाया जाएगा. एक अधिकारी ने बताया कि इस क्षेत्र में जो भी पुरानी कंक्रीट संरचनाएं थीं, उन्हें हटाया जा रहा है और केवल बांस, हल्के स्टील फ्रेम और कांच जैसी हल्की चीजों का उपयोग कर कैफे जैसी संरचनाएं बनाई जाएंगी.
परियोजना को 11 उपखंडों में बांटा गया है, जिनमें से 5 पहले ही बनाए जा चुके हैं. इनमें वासुदेव घाट, असिता ईस्ट और वेस्ट पार्क, अमृत बायोडायवर्सिटी पार्क और राजघाट के पास यमुना वाटिका शामिल हैं. इन सभी परियोजनाओं में स्थायी संरचनाओं का निर्माण नहीं किया गया है.
दिल्ली के ओ ज़ोन (O Zone) क्षेत्र में यमुना और उसके बाढ़ क्षेत्र आते हैं, जहां कोर्ट के आदेशों के तहत स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है. हालांकि, कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएं जैसे कॉमनवेल्थ गेम्स प्रोजेक्ट और फ्लाईओवर को विशेष मामलों के रूप में स्वीकृति दी गई है.
क्या है इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य?
\इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यमुना नदी से दिल्लीवासियों को जोड़ना है, जो समय के साथ उपेक्षित होती गई है. 1,660 हेक्टेयर में फैले इस पुनर्जीवन प्रयास के तहत सभी 11 परियोजनाओं में कच्चे रास्ते, साइकिल ट्रैक और प्राकृतिक वनस्पतियों से सजे क्षेत्र होंगे. यहां पर प्राकृतिक जल संचयन के लिए विशेष जलाशय भी बनाए जाएंगे.
एक पूर्व DDA अधिकारी के अनुसार, यमुना का स्वभाव नियमित रूप से बाढ़ लाने वाला है और इसे ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं की योजना बनाई जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि 2023 में जब असिता ईस्ट पार्क में बाढ़ आई थी, तब पूरा क्षेत्र दो मीटर तक पानी में डूब गया था. हालांकि, बाढ़ के बाद अधिकांश वनस्पतियां बची रहीं, जिससे यह प्रमाणित हुआ कि इस क्षेत्र में पारिस्थितिकी अनुकूल पौधों का ही उपयोग किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि मिलेनियम पार्क बस डिपो, जिसे 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान अस्थायी रूप से बनाया गया था, पर्यावरणविदों के विरोध के बावजूद लंबे समय तक बस पार्किंग के रूप में उपयोग किया गया. 2023 में इस भूमि को DDA को सौंप दिया गया, जिससे अब इस महत्वपूर्ण रिवरफ्रंट परियोजना को मूर्त रूप देने का मार्ग प्रशस्त हुआ है.