सीजी भास्कर18 जून ‘बॉम्बे हाई कोर्ट के साहसिक रुख की सराहना सुप्रीम कोर्ट ने की है. इसके पीछे की वजह हाईकोर्ट का एक फैसला था जहां अदालत ने ठाणे में अवैध रूप से बने 17 ढांचों को गिराने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी. अदालत ने न सिर्फ किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार किया बल्कि हाईकोर्ट की सराहना भी की.
12 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध इमारतों को गिराने का आदेश दिया था.हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दानिश जहीर सिद्दीकी ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था. सर्वोच्च अदालत ने अनुरोध को अस्वीकार करते हुए उनसे समीक्षा और राहत के लिए हाई कोर्ट में अपील करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट में ये मामला जस्टिस उज्जल भुइयां और मनोहन की अध्यक्षता वाली दो जजों की वैकेशन पीठ कर रही थी. जिन अवैध ढांचों को गिराने की आदेश हाईकोर्ट ने दिया है, वे नगर निकायों की मिलीभगत से बनाए गए थे.सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता सिद्दीकी से कहा कि “कृपया अपने शहर के बारे में सोचें. अन्यथा, हर जगह अतिक्रमण हो जाएगा. इसके बाद, आपके बॉम्बे पर अतिक्रमण हो जाएगा. बस इतना ही करना बाकी है.”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन ढांचों को किसी भी अनुमति के बिना बनाया गया और वह भी किसी तीसरे पक्ष की जमीन पर कब्जा करक किया गया. वहीं, सिद्दीकी ने दावा किया कि 17 इमारतों में से आठ को ध्वस्त कर दिया गया है, जिससे कम से कम 400 परिवार बेघर हो गए हैं.वहीं, ठाणे की दरगाह को तोड़ने पर अंतरिम रोक की मांग को अदालत ने एक सप्ताह की यथास्थिति का आदेश दिया.
पीठ ने अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर सात दिनों की अंतरिम रोक लगाने का निर्देश दिया और दरगाह ट्रस्ट को आदेश दिया कि वह ढांचे को गिराने के निर्देश वाले आदेश को वापस लेने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट जाए. न्यायालय 10 मार्च को हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें ढांचे को गिराने का निर्देश दिया गया था.