सीजी भास्कर 30 जुलाई
नई दिल्ली
2005-06 में देश को झकझोर देने वाले निठारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए दोनों आरोपियों — सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर — को बरी कर दिया है।
अब तक मृत्युदंड का सामना कर रहे इन दोनों आरोपियों को कोर्ट ने सबूतों के अभाव और जांच की खामियों के आधार पर दोषमुक्त घोषित किया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने CBI, उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों द्वारा दायर कुल 14 अपीलों को खारिज करते हुए कहा:
- “कोर्ट किसी भी आरोपी को केवल इस आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकता कि अपराध जघन्य है। कानून के तहत मजबूत सबूत अनिवार्य हैं।”
- नाले से मिली खोपड़ियों और सामान कोली के बयान से नहीं मिले, बल्कि बिना आधिकारिक प्रक्रिया के जब्त किए गए, जो साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं।
- “ऐसी बरामदगी को सबूत नहीं माना जा सकता, जो सिर्फ पुलिस के अनुमान और पहुंच के आधार पर की गई हो।”
पृष्ठभूमि: क्या था निठारी हत्याकांड?
- यह भारत के सबसे भयावह अपराधों में से एक है।
- नोएडा के निठारी गांव में 2005-2006 के बीच कई बच्चों और महिलाओं की हत्याएं हुई थीं।
- इनका शव मोनिंदर पंढेर की कोठी के पास स्थित नाले से बरामद हुआ था।
- सुरेंद्र कोली (पंढेर का घरेलू कर्मचारी) पर 16 हत्याओं का आरोप था।
- 2010 में ट्रायल कोर्ट ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला (अक्टूबर 2023)
- साक्ष्य के अभाव और जांच एजेंसियों की लापरवाही को आधार बनाकर हाईकोर्ट ने कहा कि “जांच निराशाजनक रही और सबूतों की कड़ी जोड़ी नहीं जा सकी।”
- हाईकोर्ट ने सभी मामलों में दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।
- अब सुप्रीम कोर्ट ने भी वही निर्णय दोहराया।
जनता और पीड़ित परिवारों में नाराज़गी
- पीड़ित परिवारों ने इसे “न्याय व्यवस्था पर करारा तमाचा” बताया है।
- “अगर इतने भयानक कांड में भी दोषी बरी हो सकते हैं, तो आम आदमी किससे उम्मीद करे?” — एक पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया।
CBI पर उठे सवाल
- कोर्ट ने CBI की कार्यशैली पर भी सख्त टिप्पणी की और कहा कि “ऐसे गंभीर मामलों में भी जांच की गुणवत्ता बेहद कमजोर थी।”
- यह मामला अब CBI की निष्पक्षता और क्षमता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।