सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री (Surinder Chaudhary Pakistan Dialogue Statement) ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि अब वक्त युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद का है। उन्होंने ज़ोर दिया कि “युद्ध से किसी का भला नहीं होता, बल्कि इसका दर्द आम नागरिकों तक पहुंचता है।”
सुरिंदर चौधरी का कहना है कि आज की दुनिया में सीमाओं पर लड़ी जाने वाली लड़ाई, सामाजिक और आर्थिक तौर पर हर व्यक्ति को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान के साथ मैच खेल सकती है और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भारत आ सकते हैं, तो फिर दोनों देशों के बीच बातचीत क्यों नहीं हो सकती?
‘युद्ध नहीं, वार्ता से ही निकलेगा हल’ – सुरिंदर चौधरी
कहा—“हर गोलाबारी एक ज़िंदगी को खामोश करती है, संवाद ही स्थायी शांति का रास्ता है”
उप मुख्यमंत्री चौधरी ने कहा कि (India-Pakistan Peace Talks) को नए सिरे से शुरू करने की ज़रूरत है। उनके मुताबिक, पहले युद्ध केवल सीमाओं पर सीमित था, लेकिन अब इसका असर गांवों, शहरों और आम जनता के जीवन में दिखता है। उन्होंने कहा कि यह समय है जब राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व को युद्ध की जगह शांति का रास्ता चुनना चाहिए।
उन्होंने आगे जोड़ा, “हर गोली के पीछे एक परिवार उजड़ता है। हर युद्ध के बाद कोई न कोई ज़ख्मी रह जाता है। अगर संवाद से मसले सुलझ सकते हैं, तो बंदूकों का इस्तेमाल क्यों?”
Surinder Chaudhary Pakistan Dialogue Statement : ‘कूटनीति ही असली ताकत है’ – उप मुख्यमंत्री
“राजनैतिक समझ और बातचीत से ही आ सकता है स्थायित्व”
सुरिंदर चौधरी ने स्पष्ट कहा कि (Diplomatic Efforts for Peace) ही स्थायी समाधान का रास्ता है। उन्होंने कहा कि युद्ध का नतीजा हमेशा विनाश होता है, जबकि कूटनीति से दीर्घकालिक भरोसा और स्थिरता बनती है।
उन्होंने नेताओं और नीति-निर्माताओं से अपील की कि वे तनावपूर्ण हालात में संयम बरतें और संवाद की प्रक्रिया को फिर से मजबूत करें। उनके अनुसार, “शांति केवल बंदूकों की खामोशी से नहीं, बल्कि दिलों के बीच की दूरी खत्म होने से आती है।”
सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी संवाद ज़रूरी
“अब युद्ध सिर्फ सीमा तक नहीं, समाज की अर्थव्यवस्था तक पहुंच चुका है”
सुरिंदर चौधरी ने कहा कि मौजूदा दौर में युद्ध केवल सैनिकों की नहीं, बल्कि हर आम नागरिक की लड़ाई बन चुका है। उन्होंने कहा कि (War Impact on Society) अब हर परिवार को प्रभावित करता है—चाहे वह सीमावर्ती इलाका हो या महानगर।
उनके मुताबिक, “जब युद्ध होता है, तब सिर्फ गोलियां नहीं चलतीं, बल्कि महंगाई, बेरोजगारी और अस्थिरता भी बढ़ती है। ऐसे में बातचीत ही वह रास्ता है जो विकास और शांति दोनों को साथ ला सकता है।”
‘राजनीतिक दल और समाज आगे आएं’ – चौधरी का आह्वान
“शांति कोई विकल्प नहीं, बल्कि राष्ट्र की ज़रूरत है”
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि (Political Dialogue for Peace) सभी दलों, संस्थाओं और समाज के लोगों को मिलकर आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर युद्ध केवल नफरत बढ़ाता है, तो संवाद दिलों को जोड़ता है।
चौधरी ने कहा, “मैं चाहता हूं कि आने वाले समय में भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्थायी वार्ता प्रक्रिया शुरू हो, जिसमें भरोसे, समझ और सम्मान की भावना हो। यही असली देशभक्ति है।”
‘वार्ता से ही मिलेगी स्थिरता और सुरक्षा’
“आर्थिक और मानवीय दृष्टि से यही सबसे प्रभावी उपाय”
सुरिंदर चौधरी ने कहा कि आज दुनिया में कोई भी देश अकेले नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि (Regional Stability through Dialogue) तभी संभव है जब पड़ोसी देशों के बीच संवाद मजबूत हो।
उनका कहना है, “शांति सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि समाज की सोच में बसनी चाहिए। जब तक संवाद नहीं होगा, तब तक असली स्थिरता नहीं आ सकती।”