सीजी भास्कर 21 नवम्बर दिल्ली के किशनगढ़ इलाके में सामने आए इस Teacher Harassment Case ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्कूल की कई महिला शिक्षिकाओं की शिकायतों के बाद भी जब लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब मामले ने तूल पकड़ा और अंततः प्रिंसिपल अवधेश महतो का तत्काल ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर दिया गया।
शिक्षिकाओं ने पहले ही भेज दी थीं शिकायतें
सूत्रों के अनुसार, महिला शिक्षिकाओं ने काफी पहले ही विभाग को लिखित रूप से बताया था कि प्रिंसिपल बार-बार व्हाट्सऐप पर आपत्तिजनक संदेश भेज रहे हैं। शिक्षिकाएं इससे मानसिक रूप से परेशान थीं और स्कूल का माहौल भी प्रभावित हो रहा था।
शिकायतों में कहा गया कि कई बार उन्हें व्हाट्सऐप ग्रुप में ऐसी भाषा पढ़ने को मिली, जिससे वे असहज महसूस करती थीं। यह पूरा मामला शुरू से ही एक तरह के inappropriate messages की ओर इशारा करता रहा।
कार्रवाई में देरी से बढ़ी नाराज़गी
शिक्षिकाओं ने जब विभागीय स्तर पर कोई ठोस कदम न उठते देखा, तो उनकी नाराजगी बढ़ती गई। मामला तब और गंभीर हुआ जब इस संबंध में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी लिखित रूप से चेतावनी दी गई कि संवेदनशील मामलों में देरी अनुचित है और इससे शिकायत निस्तारण की प्रक्रिया पर अविश्वास पैदा होता है।
इसी बढ़ते दबाव के बीच शिक्षा विभाग ने अस्थायी कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल को प्रशासनिक आधार पर दूसरे स्कूल—सुल्तानपुरी स्थित एक एमसीपीएस—में भेजने का निर्णय लिया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि यह कदम जांच पूरी होने तक प्रभावी रहेगा।
अब विशेष टीम करेगी गहन जांच
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस teacher harassment allegation की जांच एक विशेष टीम द्वारा की जाएगी। टीम के पास ग्रुप चैट के स्क्रीनशॉट, शिक्षिकाओं के बयान और प्रिंसिपल के डिजिटल कम्युनिकेशन रिकॉर्ड जैसे अहम साक्ष्य मौजूद रहेंगे।
यदि आरोप सही पाए गए, तो प्रिंसिपल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई में निलंबन, पदावनति या सेवा नियमों के तहत अन्य कठोर दंड शामिल हो सकते हैं।
शिक्षिकाओं को सुरक्षा का भरोसा दिया गया
विभाग की ओर से महिला शिक्षिकाओं को आश्वासन दिया गया है कि शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है और पूरी प्रक्रिया में उनकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। स्कूल में माहौल सामान्य बनाए रखने के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
यह पूरा मामला इस बात का उदाहरण है कि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर लापरवाही न केवल गलत है, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर सकती है।
