सीजी भास्कर 3 अगस्त
नई दिल्ली।
देशभर में अब एक बार फिर आम लोगों और कारोबारियों की निगाहें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की अगस्त 2025 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक पर टिकी हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में RBI 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट घटने की संभावना है।
क्या होगा रेपो रेट में बदलाव का असर?
अगर यह कटौती होती है, तो यह आम कर्जदारों के लिए एक राहत की खबर होगी, क्योंकि इससे होम लोन, पर्सनल लोन और बिजनेस लोन जैसे कर्जों की ब्याज दरें और सस्ती हो सकती हैं। SBI ने इसे “अर्ली दिवाली” जैसा असर बताया है, क्योंकि त्योहारी सीजन से पहले कर्ज सस्ता होना बाजार में खरीदारी और निवेश को बढ़ावा देगा।
क्यों उम्मीद है अगस्त में कटौती की?
SBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी 2025 से अब तक RBI चार बार में कुल 1% की दर कटौती कर चुका है। इसके चलते बैंकों ने भी ग्राहकों को राहत दी है। रिपोर्ट कहती है कि अगस्त में 25 bps की कटौती होने पर लोन की डिमांड फिर से तेजी से बढ़ सकती है।
दिवाली सीजन से पहले राहत क्यों अहम?
SBI की रिपोर्ट में 2017 का उदाहरण देते हुए बताया गया कि अगस्त 2017 में 25 bps की कटौती के बाद दिवाली तक करीब ₹1,956 अरब का अतिरिक्त कर्ज बाजार में आया, जिसमें से लगभग 30% सिर्फ पर्सनल लोन थे। रिपोर्ट कहती है कि जब त्योहारी सीजन जल्दी आता है और उससे पहले रेट कट होती है, तो बाजार में उछाल ज्यादा देखने को मिलता है।
RBI को क्यों जल्द कदम उठाना चाहिए?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौद्रिक नीति का असर देर से होता है और यदि RBI अधिक इंतजार करता है, तो महंगाई और विकास दर के बीच संतुलन बिगड़ सकता है। अगर रेट कट नहीं की गई और ग्रोथ धीमी हो गई, तो उसकी भरपाई करना मुश्किल हो सकता है।
महंगाई पर कंट्रोल और GDP ग्रोथ – दोनों पर नजर
RBI का मकसद सिर्फ महंगाई को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि आर्थिक विकास को बनाए रखना भी है। SBI की रिपोर्ट में कहा गया कि अगर RBI यह सोचकर रेट कट नहीं करता कि महंगाई की गिरावट अस्थायी है, तो यह रणनीतिक भूल साबित हो सकती है। क्योंकि वास्तविकता यह है कि महंगाई फिलहाल RBI के लक्ष्य दायरे में है, और ऐसे में उत्पादन और निवेश को गति देने के लिए ब्याज दर में कटौती जरूरी हो सकती है।