सीजी भास्कर 31 जुलाई
रेवाड़ी, हरियाणा। अक्सर फिल्मों में या शायरी में हम सुनते हैं – “हम साथ जिएंगे और साथ मरेंगे”, लेकिन हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले में यह जुमला हकीकत बन गया। पिथनवास गांव में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति ने अपने 70 साल के वैवाहिक जीवन के बाद कुछ ही मिनटों के अंतर पर दुनिया को अलविदा कह दिया।
पहले 90 वर्षीय सुरजी देवी ने अंतिम सांस ली और ठीक आधे घंटे बाद उनके 93 वर्षीय पति दलीप सिंह ने भी कुर्सी पर बैठे-बैठे प्राण त्याग दिए। यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक गहरा आत्मिक जुड़ाव और सच्चे प्रेम का उदाहरण है।
सुबह की सामान्य शुरुआत, लेकिन अंत खास बन गया
बुधवार की सुबह हमेशा की तरह थी। बुजुर्ग दंपति एक साथ उठे। बहू ने दोनों को चाय दी। दलीप सिंह ने तो चाय पी ली, लेकिन सुरजी देवी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें तबीयत ठीक नहीं लग रही। वह चारपाई पर लेट गईं।
कुछ समय बाद जब बहू दोबारा उनके पास पहुंची, तो वह सांसें नहीं ले रही थीं। परिवार ने तुरंत डॉक्टर को बुलाया, जिन्होंने सुरजी देवी को मृत घोषित कर दिया।
पति को जब मिली खबर, बस चुपचाप बैठे रहे और…
सुरजी देवी की मृत्यु की खबर सबसे पहले गांववालों और रिश्तेदारों को दी गई। सब अंतिम यात्रा की तैयारियों में जुट गए। वहीं दलीप सिंह, जो अब तक अनजान थे, अपने घर के बाहर कुर्सी पर बैठे थे।
जब उनके बेटे ने आकर मां की मृत्यु की खबर दी, तो वह बस शांत रह गए। न कोई प्रतिक्रिया, न आंसू। बस कुछ ही मिनटों में उनका चेहरा फीका पड़ गया और देखते ही देखते उन्होंने भी वहीं बैठे-बैठे दम तोड़ दिया।
अर्थी पर सजाए गए गुब्बारे, और साथ जली एक ही चिता
इस प्रेम भरे विदाई को गांववालों ने सम्मान और भावनाओं से भरा आखिरी सलाम दिया। दंपति की अर्थी को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया। ढोल-नगाड़ों के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकली और दोनों का संयुक्त अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया।
परिवार में कौन-कौन हैं?
सुरजी देवी और दलीप सिंह के दो बेटे थे। बड़े बेटे राजेंद्र सिंह सेना में कार्यरत थे, जिनका करीब 20 साल पहले निधन हो गया था। छोटे बेटे फूल सिंह खेती करते हैं। उनकी चार बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। परिवार में तीन पौत्र और पर-पौत्र भी हैं।