सीजी भास्कर, 22 जून |
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले के एक प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षक अंगद सिंह सलामे को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। माओवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता को लेकर चल रही जांच के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने उसकी पत्नी के मोबाइल और इलेक्ट्रानिक डिवाइस जब्त कर लिए है। इसके खिलाफ दायर याचिका को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
शिक्षक ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि एनआइए उसके खिलाफ झूठा नक्सली मामला गढ़ रही है और जांच के नाम पर उसे परेशान कर रही है। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, ऐसे में जांच एजेंसी को जांच में पूर्ण स्वतंत्रता देना जरूरी है।
जांच के नाम पर फंसाने का आरोप
शिक्षक अंगद सिंह ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में एनआइए पर गंभीर आरोप लगाए। उसका कहना था कि जांच एजेंसी के अधिकारी उस पर एक संदिग्ध नक्सली को आत्मसमर्पण के लिए मनाने का दबाव बना रहे थे। ऐसा नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी गई थी। उन्होंने दावा किया कि एनआइए ने कई बार बिना पूर्व सूचना के उससे पूछताछ की और बाद में पत्नी का मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस जब्त कर लिए।
एनआइए ने कहा- जांच से मिल सकती हैं अहम जानकारियां
एनआइए की ओर से पेश अधिवक्ता बी. गोपा कुमार ने डिवीजन बेंच को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में ऐसे प्रमाण मिले हैं जो शिक्षक की नक्सल गतिविधियों में संलिप्तता की ओर संकेत करते हैं। जब्त किए गए मोबाइल व अन्य डिवाइस की जांच से इस नेटवर्क के बारे में और जानकारी मिलने की पूरी संभावना है, जो जांच के लिए अत्यंत आवश्यक है।
जांच में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है, जहां आंतरिक सुरक्षा की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर बस्तर और अन्य प्रभावित क्षेत्रों को नक्सल समस्या से मुक्त कराने के प्रयास कर रहे हैं।
ऐसे में जांच को बाधित करना देश के व्यापक हित में नहीं होगा। बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह की जांच राष्ट्रीय हित से जुड़ी होती है और इसके लिए जांच एजेंसी को आवश्यक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इसलिए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज किया जाता है।