सीजी भास्कर, 2 सितंबर। मध्य प्रदेश के उज्जैन में सालों पहले से निकल रही ‘बाबा महाकाल’ की सवारी के आगे से शाही शब्द हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अब इसे नया नाम ‘राजसी सवारी’ दिया है। शाही सवारी निकलने पर सीएम ने कहा कि आज उज्जैन में बाबा महाकाल की आखिरी “राजसी सवारी” निकल रही है। बाबा का जनता से सीधा सरोकार है। उनकी कृपा सब पर बनी रहे। इस साल आदिवासी कलाकार शामिल किये गए और शासकीय बैंड शामिल किए गए।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने आगे कहा कि यह मात्र सवारी नहीं, अपितु बाबा का जनता के साथ सीधा सरोकार है। मैं देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं का बाबा महाकालेश्वर की राजसी सवारी में स्वागत, वंदन एवं अभिनन्दन करता हूं।
दरअसल, प्रतिवर्ष श्रावण-भादो मास के प्रत्येक सोमवार को महाकाल की सवारी निकलती है। इसमें महाकाल पालकी में सवार होकर प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते हैं। महाकाल की अंतिम सवारी सबसे भव्य होती है, इसलिए इसे ‘शाही सवारी’ कहा जाता है। लेकिन ‘शाही’ कहने पर उज्जैन के संतों, विद्वानों और अखाड़ों के साधुओं में असहमति व आक्रोश था। भागवताचार्य भीमाशंकर शास्त्री ने धर्म सभा में शाही नाम को बदलने की मांग उठाई थी। साधु संतों का कहना था कि महाकाल की सवारी को ‘शाही सवारी’ न कहा जाए। इसके स्थान पर संस्कृत या हिंदी का कोई उपयुक्त शब्द प्रचलन में लाया जाए। शाही सवारी में भगवान महाकाल चंद्रमौलेश्वर, शिवतांडव, उमा-महेश, होलकर स्टेट का मुखारबिंद, घटाटोप मुखौटा, सप्तधान मुखारबिंद और मनमहेश स्वरूप में दर्शन दे रहे हैं। इस बार शाही सवारी का रूट 7 किलोमीटर रहेगा। शाही सवारी में 70 भजन मंडलियां लोक नृत्य और भजन गाते हुए चल रही हैं।