🟦 राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष के लिए तीन नामों पर मंथन की चर्चा, हो रहा आंकलन…..
🟧 पीएम मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद के तारतम्य से ही हो सकता……..
🟩 जगत प्रकाश नड्डा की सशक्त कार्यशैली के चलते जब तक नये अध्यक्ष की रायशुमारी………
सीजी भास्कर, 03 अक्टूबर। भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त होने के बाद पिछले कुछ महीनों से संगठन में चल रही रायशुमारी के बीच एक बड़ी खबर यह सामने आई है कि जिन तीन बड़े नेताओं का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए राजनीतिक गलियारों से भाजपा संगठन तक तेजी से पहुंचा है और जिन नामों को लेकर विचार विमर्श हो रहा है उसमें एक नाम छत्तीसगढ़ राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता का भी है। आपको बता दें कि जगत प्रकाश नड्डा 20 जनवरी 2020 को भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे और सितम्बर 2022 में उनका कार्यकाल बढ़ाकर जून 2024 तक कर दिया गया, कुछ राज्यों में चुनाव के मद्देनजर श्री नड्डा अपनी सशक्त कार्यशैली के चलते जब तक नये अध्यक्ष की रायशुमारी नहीं हो जाती अध्यक्ष बने हुए हैं।
भाजपा के केंद्रीय नेताओं, राष्ट्रीय पदाधिकारियों और संघ के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद खबर मिली है कि अनेक नामों में से फिलहाल तीन नाम ऐसे हैं जिनमें से किसी एक नेता पर भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मुहर लग सकती है। इनमें से एक नाम ऐसा है जो कि पीएम नरेंद्र मोदी की पसंद है, दूसरे नाम को संघ की पसंद माना जा रहा है जबकि एक तीसरा नाम छत्तीसगढ़ राज्य से भी सशक्त रूप से सूचीबद्ध हुआ है जिसे पीएम मोदी और संघ दोनों की पसंद बताया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता, विश्लेषक और राजनीतिक पंडितों की मानें तो जो तीन नाम पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तेजी से शीर्ष की ओर बढ़े हैं उनमें शिवराज सिंह चौहान (मध्यप्रदेश), वसुंधरा राजे सिंधिया (राजस्थान) और डॉ. रमन सिंह (छत्तीसगढ़) शामिल हैं। भाजपा संगठनात्मक वरिष्ठों के बीच से जो खबरें छन कर सामने आ रही हैं, जिन नेताओं के नाम पर चर्चा हो रही है उनमें ये तीन भाजपा नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। विश्लेषकों की मानें तो पीएम मोदी की पसंद अनुरूप शिवराज सिंह चौहान, संघ की मानें तो वसुंधरा राजे सिंधिया और अगर पीएम मोदी और संघ की पसंद के बीच तारतम्य बैठा तो छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता डॉ रमन सिंह के नाम पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की मुहर लग सकती है।
शिवराज सिंह चौहान
श्री चौहान के राजनीतिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो 1972 से वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े, 1975 में विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष, आपातकाल के विरूद्ध भूमिगत आंदोलन में भाग ले 1976-77 में भोपाल जेल तथा अन्य अवसरों पर राजनैतिक आंदोलनों के दौरान निरूद्ध रहे। 1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा मध्यप्रदेश के संयुक्त सचिव, 1988-91 में इसके अध्यक्ष. 1990 में नौवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित, 1991 में दसवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित, 1996 में ग्यारहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित, 1998 में बारहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित, 1999 में तेरहवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित, 1999-2000 में कृषि संबंधी समिति, 1999-2000 और 2000-2001 में सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति एवं 2000 से संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य, 2002 में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, 2003 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, 2004 में चौदहवीं लोक सभा के सदस्य (पांचवी बार) निर्वाचित। 6 मई 2006 को उपचुनाव में बारहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हो 12 मई 2006 को मुख्यमंत्री बने। 2008 में तेरहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित और 12 दिसम्बर, 2008 से 9 दिसम्बर, 2013 तक मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2013 में चौथी बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित और 14/12/2013 से 12/12/2018 तक मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2018 में पाँचवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित और 23/03/2020 से 11/12/2023 तक मुख्यमंत्री रहे। वे वर्तमान में भारत के कृषि और कल्याण मंत्री हैं।
वसुंधरा राजे सिंधिया
एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सरकारी अधिकारी हैं, जो भारतीय राजनीति में वरिष्ठ नेता बनीं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)। उन्होंने दो बार (2003-08 और 2013-18) उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री (सरकार के प्रमुख) के रूप में कार्य किया। राजे ने 1984 में अपेक्षाकृत युवा भाजपा (1980 में स्थापित) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और पार्टी पदानुक्रम में लगातार आगे बढ़ीं। 1985 में उन्हें राजस्थान में भाजपा की युवा शाखा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और दो साल बाद वह पार्टी की राज्य इकाई की उपाध्यक्ष बनीं। उन्होंने 1997-98 में संसद में भाजपा सदस्यता के संयुक्त सचिव और 2002-03 में पार्टी की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। राजे ने पहली बार 1985 में चुनाव लड़ा और राजस्थान राज्य विधानसभा में सीट जीती हालांकि चार साल बाद, उन्होंने अपना ध्यान राष्ट्रीय राजनीति की ओर लगाया और 1989 में लोकसभा (भारतीय संसद का निचला सदन) के लिए चुनी गईं। वह चार बार फिर से उस निकाय के लिए चुनी गईं। 2003 में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। राजे को उस अवधि (1998-2004) के दौरान कई नियुक्तियाँ मिलीं। भाजपा ने राष्ट्रीय सरकार को नियंत्रित किया जिसमें विदेश राज्य मंत्री (1998-99) और परमाणु ऊर्जा विभाग (1999-2003) शामिल हैं। 2003 में राजे राजस्थान की राजनीति में लौटीं और भाजपा को विधानसभा में एक मजबूत चुनावी जीत (200 में से 120 सीटें) दिलाईं। पार्टी ने सरकार बनाई और राजे को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो राजस्थान में इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला थीं। राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में उनके काम के लिए – विशेष रूप से स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने और माइक्रोक्रेडिट कार्यक्रमों की स्थापना की सुविधा प्रदान करने के लिए – संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें 2007 में अपना वूमेन टुगेदर अवार्ड दिया।
डॉ. रमन सिंह
राजनीति में आने से पहले रमन सिंह एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हुआ करते थे। चूंकि, उन्होंने अपने गृह नगर में अच्छे और अनुभवी डॉक्टरों की कमी देखी थी इसलिए वह चिकित्सा के क्षेत्र में करियर बढ़ाने के लिए आगे बढ़े। वर्ष 1976-1977 में वो भारतीय जनसंघ में युवा सदस्य के रूप में शामिल हुए जिसके परिणामस्वरूप, उन्होंने कवर्धा युवा विंग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना शुरू किया। वर्ष 1999 से 2003 तक, रमन ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतर्गत वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 2005 में सलवा जुडूम पहल के तहत रमन सिंह ने माओवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की पहल की जिसे विपक्ष ने भी समर्थन दिया था। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की स्थितियों में सुधार के लिए भरपूर योगदान देने के लिए रमन को काफी प्रशंसा मिली। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए किए गए, कार्यों को मान्यता भी मिली। वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य की भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। वर्ष 2003 में ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चुने गए। वर्ष 2008 में, वह पुनः छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2013 में उन्होंने लगातार तीसरी बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। विधायक डॉ. रमन सिंह गरीबों के डॉक्टर और चाउंर वाले बाबा के नाम से मशहूर रहे हैं। उन्होंने जनसंघ कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। वे युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। पहली बार उन्होंने 1983 में कवर्धा नगरपालिका के पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1989 में वे पहली बार विधायक चुने गए। वे कुल छह बार विधायक रहे हैं। 1999 में राजनांदगांव लोकसभा से सांसद निर्वाचित होकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय वाणिज्य उद्योग राज्यमंत्री भी रहे। डाक्टर रमन सिंह वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा में अध्यक्ष हैं।