सीजी भास्कर, 30 जुलाई। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां इलाज में लापरवाही की वजह से एक मरीज की मौत हो गई।
उपभोक्ता फोरम ने इस केस में अस्पताल को जिम्मेदार मानते हुए 5 लाख रुपये का हर्जाना और 25 हजार रुपये मानसिक पीड़ा के लिए देने का आदेश जारी किया है।
क्या है पूरा मामला?
रेशमा वासवानी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पति किशोर वासवानी 27 फरवरी 2014 को घर की छत से गिर गए थे। इस दुर्घटना में उनकी गर्दन में गंभीर चोट आई थी, जिसके बाद उन्हें रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुरुआत में मरीज होश में था, बात कर रहा था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
गलत इलाज का आरोप
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में मरीज की गंभीर स्थिति के बावजूद सिर्फ दर्द निवारक दवाएं दी गईं। जब परिजनों ने इलाज में लापरवाही को लेकर सवाल उठाए और मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात की, तो अस्पताल प्रबंधन ने किशोर वासवानी को जबरन वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया, जबकि उस समय वे खुद से सांस ले पा रहे थे।
बिना विशेषज्ञ के की गई सर्जरी
शिकायत में यह भी बताया गया कि अस्पताल ने बिना ईएनटी विशेषज्ञ की सलाह लिए ट्रैकियोस्टॉमी (गला चीर कर सांस नली में ट्यूब डालना) कर दी, जिससे मरीज को संक्रमण हो गया। मरीज को 17 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया और इस दौरान अस्पताल ने करीब साढ़े चार लाख रुपये वसूल लिए।
आंबेडकर अस्पताल में हुआ खुलासा
20 मार्च को मरीज को आंबेडकर अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने महज 36 घंटे में वेंटिलेटर हटा दिया और बताया कि पहले अस्पताल में जो इलाज हुआ, वह पूरी तरह गलत था। इसके बाद 29 मार्च को मरीज की मौत हो गई।
उपभोक्ता फोरम का बड़ा फैसला
सुनवाई के दौरान फोरम ने माना कि इलाज में भारी लापरवाही बरती गई और यही मौत का प्रमुख कारण बनी। फोरम ने अस्पताल को दोषी मानते हुए 5 लाख रुपये मुआवजा और मानसिक पीड़ा के लिए 25 हजार रुपये अलग से देने का निर्देश दिया।