मिलनाडु में लोकसभा सीटों के प्रस्तावित परिसीमन मुद्दे पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में राज्य की 45 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया था. बीजेपी पहले ही इस बैठक का बहिष्कार कर चुकी है. तमिलनाडु में अधिकांश राजनीतिक दलों को आशंका है कि संसदीय क्षेत्र परिसीमन की कवायद से राज्य में सीटें कम हो जाएंगी. इसी को देखते हुए यह बैठक बुलाई गई है.बैठक मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हो रही है.
इस दौरान उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों के सिर पर परिसीमन के नाम से तलवार लटक रही है. तमिलनाडु के सामने बड़ा खतरा है. तमिलनाडु को इस विरोध को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो हम 12 सीटें खो सकते हैं. परिसीमन होता है तो तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व खत्म हो सकता है. उन्होंने कहा कि हमें मिलकर इस साजिश को हराने की जरूरत है.
तमिलनाडु की सीटें बढ़ानी चाहिए- स्टालिनपरिसीमन मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के दौरान तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि अगर संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो हमें 22 अतिरिक्त सीटें मिलनी चाहिए. हालांकि, मौजूदा आबादी के हिसाब से हमें सिर्फ 10 अतिरिक्त सीटें मिलेंगी, जिसका मतलब है कि हम 12 सीटें खो देंगे. यह भारतीय लोकतंत्र में तमिलनाडु के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर सीधा हमला है.उन्होंने कहा कि परिसीमन के जरिए तमिलनाडु की आवाज को दबाया जा रहा है.
अपने लोगों के हितों की रक्षा करने में हमारे राज्य की ताकत को कम किया जा रहा है. हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह पिछले 50 वर्षों में सामाजिक और आर्थिक कल्याण योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की सजा नहीं होनी चाहिए. इस सर्वदलीय बैठक में मांग की गई है कि 2026 की जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया नहीं की जानी चाहिए.सीएम स्टालिन की पीएम मोदी से मांगसीएम एमके स्टालिन ने कहा कि हम प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि वे आश्वासन दें कि 2026 के बाद और अगले 30 वर्षों के लिए परिसीमन प्रक्रिया 1971 की जनगणना के आधार पर ही की जाएगी.
हम यह भी मांग करते हैं कि संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाई जाए और आवश्यक संवैधानिक संशोधन किए जाएं.उन्होंने कहा कि यह सर्वदलीय बैठक इन मांगों को तमिलनाडु की न्यूनतम अपेक्षाओं के रूप में रखती है. हम इस मुद्दे को लोगों तक ले जाएंगे और इसके बारे में जागरूकता पैदा करेंगे. हम इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए दक्षिण भारत के सांसदों के लिए एक संयुक्त कार्रवाई समिति भी बनाएंगे.