सीजी भास्कर, 10 जून : वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मंगलवार को जस्टिस यशंवत वर्मा को हटाए जाने के मामले पर बात की. उन्होंने कहा, जस्टिस यशवंत वर्मा को अगर इन-हाउस जांच रिपोर्ट के आधार पर हटाया जाता है तो यह “असंवैधानिक” होगा. इस तरह की मिसाल न्यायिक स्वतंत्रता के लिए “बहुत बड़ा” खतरा होगी. सिब्बल ने कहा कि इन-हाउस रिपोर्ट के आधार पर जज को हटाना न्यायपालिका को नियंत्रित करने का इनडायरेक्ट तरीका है.
कपिल सिब्बल ने आगे कहा, किरेन रिजिजू विपक्षी दलों के साथ मिलकर यह कोशिश कर रहे हैं कि वो एक साथ आएं और जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाएं. लेकिन अभी महाभियोग प्रस्ताव सामने नहीं है, लेकिन हमें यह जानकारी मिली है कि उन्होंने कई वकीलों से भी बात की है.
“हम इसका विरोध करेंगे”
कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर यह जज को ऐसे रिमूव करेंगे तो निश्चित रूप से हम विरोध करेंगे. यह असंवैधानिक है. हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि ऐसा कोई भी कदम असंवैधानिक होगा. इन हाउस जांच रिपोर्च के आधार पर जज को हटाना गलत होगा. ऐसी मिसाल न्यायिक स्वतंत्रता के लिए बहुत बड़ा खतरा होगी. यह न्यायपालिका को नियंत्रित करने का एक इनडायरेक्ट तरीका है. जज इंक्वायरी एक्ट को दरकिनार कर के इन हाउस रिपोर्ट के आधार पर ऐसा करना खतरनाक है.
जज शेखर कुमार का किया जिक्र
राज्यसभा के पत्र के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ जांच बंद कर दी है. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, 13 दिसंबर 2024 को हमने चेयरमैन राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव दिया था, उस पर 55 सांसदों के हस्ताक्षर थे, छह महीने हो गए, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया. मैं पूछना चाहता हूं, जो लोग संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, क्या 6 महीने लगने चाहिए? दूसरा सवाल यह है कि क्या यह सरकार शेखर यादव का बचाव कर रही है. आपको यह भी याद होगा कि वीएचपी के निर्देश पर उन्होंने हाईकोर्ट परिसर में भाषण दिया था, मामला सुप्रीम कोर्ट में आया. उनसे दिल्ली में पूछताछ की गई. जैसा कि मैंने सुना, 13 फरवरी, 2025 को अध्यक्ष ने कहा कि इसे संवैधानिक तरीके से देखा जाना चाहिए, उन्होंने सीजेआई को कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए पत्र भेजा, मुझे समझ में नहीं आता कि यह किस आधार पर हुआ? क्या अध्यक्ष को सीजेआई को ऐसा पत्र लिखना चाहिए?
इससे पहले 4 जून को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वो आम सहमति बनाने पर काम कर रहे हैं. हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सभी राजनीतिक दल महाभियोग प्रस्ताव के खिलाफ आगे बढ़ेंगे. जस्टिस यशवंत का मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद एक जांच कमेटी का गठन किया था. जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोप है कि जब दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे तो उनके स्टोर रूम में “जली हुई नकदी” पाई गई थी. इन-हाउस जांच समिति ने इस मुद्दे पर आखिरी बार अपनी रिपोर्ट सौंपी.