उत्तराखंड , 08 मई 2025 :
Triyuginarayan Temple News: उत्तराखंड की पावन धरती अब डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कई मंचों से उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में प्रमोट करने का सीधा असर अब त्रियुगीनारायण मंदिर में देखने को मिल रहा है. यह वही स्थान है, जहां सनातन मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. आज यह स्थान विवाह संस्कार के लिए भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से आने वाले लोगों का भी पसंदीदा स्थल बन चुका है.
त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी बनावट केदारनाथ मंदिर से मिलती-जुलती है. मान्यता है कि इसी मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और स्वयं भगवान विष्णु ने कन्यादानकर्ता की भूमिका निभाई थी. मंदिर परिसर में स्थित अखंड अग्नि को उसी पवित्र अग्नि का प्रतीक माना जाता है, जिसके समक्ष शिव और पार्वती ने सात फेरे लिए थे. यही कारण है कि यह स्थल वैवाहिक संस्कार के लिए बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है.
हर महीने मंदिर में हो रही हैं 100 से ज्यादा शादियां
वर्तमान में यहां हर महीने 100 से अधिक शादियां हो रही हैं. वर्ष 2024 में जहां कुल छह सौ शादियां हुई थीं, वहीं वर्ष 2025 के अप्रैल माह तक ही यह आंकड़ा पांच सौ को पार कर चुका है. यह बढ़ती हुई संख्या दर्शाती है कि त्रियुगीनारायण मंदिर कैसे एक वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है. सनातन धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए इस मंदिर का विशेष महत्व है.
स्थानीय वेडिंग प्लानर रंजना रावत के अनुसार, 7 से 9 मई के बीच सिंगापुर में कार्यरत भारतीय मूल की डॉक्टर प्राची यहां विवाह बंधन में बंधने आ रही हैं. उन्होंने जीएमवीएन का टूरिस्ट रेस्ट हाउस पहले से ही बुक कर लिया है. ऐसे उदाहरण अब आम हो चले हैं, जहां विदेशों में बसे भारतीय और यहां तक कि विदेशी नागरिक भी त्रियुगीनारायण में वैदिक परंपराओं के अनुसार विवाह करने आ रहे हैं.
त्रियुगीनारायण मंदिर में कई हस्तियों ने रचाई शादी
अब तक यहां इसरो के एक वैज्ञानिक, टेलीविजन और फिल्म अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, लोकगायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल और गढ़वाली गायक सौरभ मैठाणी जैसी कई हस्तियां विवाह कर चुकी हैं. इन सबने सनातन परंपराओं के अनुसार सात फेरे लेकर इस स्थान की महत्ता को और बढ़ाया है.
मंदिर के पुजारी सच्चिदानंद पंचपुरी बताते हैं कि विवाह संस्कार पूर्ण रूप से वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न होता है. इसके लिए पहले से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है और विवाह में माता-पिता या अभिभावकों की उपस्थिति भी आवश्यक होती है. मंदिर परिसर में वेदी बनाई जाती है, जहां सात फेरे लिए जाते हैं. इसके बाद ‘पग फेरा’ की रस्म अखंड अग्नि के समक्ष पूरी की जाती है.
डेस्टिनेशन वेडिंग रोजगार का बड़ा जरिया- सीएम धामी
अन्य सभी आयोजन जैसे बारात स्वागत, भोजन, संगीत और विश्राम की व्यवस्था मंदिर के नजदीकी होटलों और रिजॉर्ट्स में होती है. सीतापुर तक के होटलों में भी वैवाहिक समारोह आयोजित किए जा रहे हैं. इन आयोजनों में स्थानीय पुजारियों, मांगल दलों, ढोल-दमाऊ वादकों, हलवाइयों और होटल व्यवसायियों को रोजगार मिल रहा है. विवाह आयोजनों के लिए दक्षिणा और सेवाओं की दरें भी निर्धारित कर दी गई हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहे.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में प्रोत्साहित करने की अपील के बाद से राज्य सरकार ने इस दिशा में ठोस प्रयास शुरू कर दिए हैं. उन्होंने कहा, “प्रदेश में पर्यटन के साथ-साथ अब डेस्टिनेशन वेडिंग भी रोजगार का बड़ा जरिया बनकर उभर रही है. हमारी सरकार इस पहल को हर संभव सहायता दे रही है, जिससे स्थानीय लोगों को स्थायी आय का स्रोत मिल सके.”
धार्मिक आस्था का प्रतीक बनकर उभरा मंदिर
त्रियुगीनारायण में हो रही शादियों का असर अब आसपास के गांवों और कस्बों तक भी दिखने लगा है. युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. होटल, परिवहन, खानपान, सजावट, संगीत और धार्मिक कर्मकांड से जुड़े लोगों की मांग बढ़ गई है. यह एक ऐसा उदाहरण बनता जा रहा है जहां धार्मिक पर्यटन और पारंपरिक संस्कृति के मेल से आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.
उत्तराखंड सरकार अब इस मॉडल को अन्य धार्मिक स्थलों पर भी लागू करने की योजना बना रही है, ताकि डेस्टिनेशन वेडिंग के माध्यम से प्रदेश की आर्थिकी को नई उड़ान दी जा सके. त्रियुगीनारायण मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनकर उभरा है, बल्कि यह आधुनिक भारत में सनातन परंपराओं की वैश्विक प्रस्तुति का केंद्र भी बन रहा है.