गाजियाबाद , 18 मार्च 2025 :
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक आज यानी मंगलवार को हो रही है। इसमें तुलसी निकेतन योजना के जर्जर मकानों को तोड़कर बहुमंजिला इमारत बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इस योजना के तहत बने 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआइजी फ्लैट जर्जर हो चुके हैं। यदि प्रस्ताव पास होता है तो इससे हजारों लोगों को फायदा होगा। लोगों को नए मकान मिलेंगे।
तुलसी निकेतन योजना के तहत बने मकानों में रह रहे लोगों को इस बार बोर्ड बैठक से काफी उम्मीदें है। मंगलवार को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की होने वाली बोर्ड बैठक में योजना के जर्जर हो चुके मकानों को तोड़कर बहुमंजिला इमारत बनाने का प्रस्ताव एजेंडे में शामिल किया गया है।
आठ हेक्टेयर जमीन में बसाई थी कॉलोनी
बैठक में यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो इससे तुलसी निकेतन के हजारों लोगों को फायदा मिलेगा। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने वर्ष 1990 में आठ हेक्टेयर जमीन में 2004 ईडब्ल्यूएस व 288 एलआइजी फ्लैट बनाकर तुलसी निकेतन कॉलोनी बसाई थी। फ्लैटों के आवंटन के बाद लोगों ने इमारत की समय-समय पर मरम्मत नहीं कराई। इससे इमारत जर्जर हो गईं। प्लास्टर टूटकर गिरने लगे।
मकानों के गिरने का खतरा
जीडीए ने जामिया मिलिया इस्लामिया की टीम से निरीक्षण कराया तो पता चला कि इमारत जर्जर है। हर बार वर्षा ऋतु में मकानों के गिरने का खतरा रहता है। जीडीए द्वारा लोगों को कई बार मकानों के जर्जर होने का नोटिस भी दिया जा चुका है। पूर्व में जीडीए ने पुरानी बिल्डिग को तोड़कर दो बहुमंजिला इमारतें बनाकर लोगों को फ्लैट देने की योजना बनाई।
इसी तरह कई बार योजना बनी लेकिन यह योजना कागजों तक ही सीमित रही। इस बार फिर से इस योजना के मकानों का निर्माण करने के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा जाना है। यदि बोर्ड में प्रस्ताव पास होता है तो इसे प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप से बनाया जाएगा।
अजंतापुरम योजना की लेआउट नहीं हो सका फाइनल
आवास विकास परिषद की अजंतापुरम योजना का लेआउट पर मुहर नहीं लग सकी है। अब एयरपोर्ट के सामने सड़क चौड़ीकरण के लिए जमीन देने के बाद ही यह लेआउट फाइनल हो सकेगा। फिर से योजना शुरू होने का इंतजार बढ़ गया है। अधिकारियों का कहना है कि फरवरी में अजंतापुरम का लेआउट बनाकर मुख्यालय भेज दिया गया था।
मार्च में लेआउट पर फाइनल मुहर लगनी थी ।जिला प्रशासन की ओर से एयरपोर्ट के सामने सड़क चौड़ीकरण के लिए आवास विकास से जमीन मांगी गई है। प्रशासन के इस मांग की वजह से लेआउट फाइनल होने पर एक बार फिर से ब्रेक लग गया है।
अधिकारियों का कहना है कि जमीन देने के बाद मौके पर योजना की जमीन कम हो जाएगी जो कि पूर्व में लेआउट में नहीं है। ऐसे में मुख्यालय से फिलहाल पूर्व में भेजे गए लेआउट पर मुहर नहीं लगी है।