रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आज बड़ा घटनाक्रम हुआ। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। बुधवार सुबह 10:30 बजे राजभवन के छत्तीसगढ़ मंडपम में राज्यपाल रमेश बैस (रमेन डेका) ने शपथ ग्रहण करवाई।
शपथ लेने वाले नेताओं में दुर्ग शहर विधायक गजेन्द्र यादव, अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब शामिल हैं। समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और कैबिनेट के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
कैबिनेट हुआ पूरा, लंबे इंतजार के बाद विस्तार
भाजपा सरकार बनने के करीब 20 महीने बाद आखिरकार साय कैबिनेट का पूरा स्वरूप सामने आया।
- सरकार गठन के समय 13 मंत्रियों के फार्मूले पर 11 मंत्रियों ने शपथ ली थी।
- रायपुर से सांसद बने बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे और अन्य रिक्तियों के कारण 3 पद खाली थे।
- पिछले 6 महीनों से कैबिनेट विस्तार को लेकर अटकलें जारी थीं।
आखिरकार, हरियाणा की तरह 14 मंत्रियों के फॉर्मूले पर सहमति बनी और आज तीन नए चेहरों को शामिल किया गया।
पुराने मंत्रियों में फेरबदल नहीं
सूत्रों के मुताबिक, अभी तक मौजूदा मंत्रियों के विभागों में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, नए मंत्रियों को दिए जाने वाले विभागों के आधार पर आगे पोर्टफोलियो में फेरबदल संभव है।
नए मंत्रियों का राजनीतिक सफर
गजेन्द्र यादव (दुर्ग शहर विधायक)
- पृष्ठभूमि: आरएसएस से गहरा जुड़ाव, पिता बिसरा राम यादव छत्तीसगढ़ प्रांत संघचालक रहे।
- राजनीति: 1999 से 2004 तक नगर निगम दुर्ग में पार्षद, 2 बार भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश मंत्री।
- 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अरुण वोरा को हराकर विधायक बने।
- माना जा रहा था कि साय कैबिनेट में आरएसएस से जुड़े चेहरे को जगह दी जाएगी, जो यादव के नाम पर पूरी हुई।
राजेश अग्रवाल (अंबिकापुर विधायक)
- पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, बाद में भाजपा में शामिल हुए।
- 2023 चुनाव में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को हराकर बड़ा उलटफेर किया।
- बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अग्रवाल समाज से प्रतिनिधित्व नहीं था, इसलिए उनकी दावेदारी मजबूत रही।
गुरु खुशवंत साहेब (आरंग विधायक)
- सतनामी समाज के प्रमुख धार्मिक केंद्र भंडारपुरी गुरु गद्दी के उत्तराधिकारी और गुरु बालदास के बेटे।
- 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज शिव डहरिया को हराया।
- अनुसूचित जाति और सतनामी समाज के राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट में शामिल किया गया।