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Home » तीन साल पहले हिमालय के आसमान में दिखे थे रहस्यमयी ‘रोशनी के खंभे’, वैज्ञानिकों ने बताया क्या था वो

तीन साल पहले हिमालय के आसमान में दिखे थे रहस्यमयी ‘रोशनी के खंभे’, वैज्ञानिकों ने बताया क्या था वो

By Newsdesk Admin 05/07/2025
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तीन साल पहले हिमालय के आसमान में 105 ऊंचे खंभे को टिमटिमा हुआ देखा गया था, जिसे दो चीनी एस्ट्रोफोटोग्राफरों – एंजेल एन और शुचांग डोंग ने अपने कैमरे में क़ैद किया था. 19 मई 2022 को हिमालय के ऊपर चमकती रोशनी की लकीरें क्या थी और क्या इसका रहस्य था, इसका वैज्ञानिकों ने खुलासा कर दिया है.

कहां दिखे थे 105 लाल रोशनी की लकीरें?

दक्षिणी तिब्बती पठार के ऊपर, पवित्र पुमोयोंगचुओ झील के पास आसमान में 105 ऊंचे खंभे को टिमटिमा हुए देखा गया था. आकाश के इस अद्भुत नजारे को देख सोशल मीडिया पर हर कोई हैरान हो गया.

वैज्ञानिकों ने बताया रहस्य

हिमालय के आसमान में दिखने वाली रोशनी को वैज्ञानिकों ने ‘रेड स्प्राइट्स’ बताया है. यह एक तरह का बिजली की किस्म है जो कि बेहद दुर्लभ होता है. अमूमन यह बादलों से कहीं ऊपर होता है, पृथ्वी की सतह से 65-90 किमी की ऊंचाई पर होता है.

A spectacular display of more than one hundred "red sprite" lightning events was captured above the Himalayas in Tibet. These rare, upward-shooting electrical discharges, occurring high above thunderstorms, were observed near Pumoyongcuo Lake on the southern Tibetan Plateau. pic.twitter.com/N4HUNZdP6W

— Paul White Gold Eagle (@PaulGoldEagle) June 28, 2025

यह आमतौर पर लाल रंग की, कुछ पलों के लिए दिखने वाली एक बिजली की चमक होती है. जो कि तंबू जैसे आकार में दिखाई देती है. कभी-कभी इसके ऊपरी हिस्से में हरी रंग की रेखाएं भी देखी जाती हैं.

चीन एस्ट्रोफोटोग्राफरों ने न केवल 105 रेड स्प्राइट्स की तस्वीरें ली. बल्कि 6 सेकेंडरी जेट्स और चार ‘घोस्ट स्प्राइट्स’ भी रिकॉर्ड किए. बताया जा रहा है कि एशिया महाद्वीप पर घोस्ट स्प्राइट्स पहली बार देखे गए हैं.

यह रोशनी कैसे बनी?

वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि ये स्प्राइट्स बेहद ही शक्तिशाली बिजली गिरने के कारण बनी, जो बादलों के ऊपर से ज़मीन तक पहुंची. यह बिजली एक विशाल तूफानी प्रणाली से निकली, जिसे मेसोस्केल कॉन्वेक्टिव कॉम्प्लेक्स नाम से भी जाना जाता है. जो कि गंगा के मैदान से लेकर तिब्बती पठार तक 2 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करता है.

स्प्राइट्स की वजह से बिजली ज्यादातर पॉज़ीटिव थी और उसमें तेज पीक करेंट था, जो कि 50 किलोएम्पियर से भी ज़्यादा था. ऐसे बिजली आमतौर पर अमेरिका के ग्रेट प्लेन्स और यूरोप के तटीय इलाकों में आने वाले बड़े तूफानों में देखी जाती है.

वैज्ञानिकों ने कैसा लगाया पता?

हिमालय के आसमान में क्या दिखा था, इसे पता लगाना आसान नहीं था. लेकिन, वैज्ञानिकों ने क़रीब तीन साल तक अध्ययन कर रहस्यमयी चीज़ का पता लगा लिया. इसके लिए वैज्ञानिकों ने नई तकनीकों का इस्तेमाल किया. वीडियो फ्रेम को सैटेलाइट के मूवमेंट और आसमान में तारों की स्थिति से मिलाया गया. इससे वैज्ञानिकों को स्प्राइट्स के पीछे की बिजली की घटनाओं को पहचान लिया. इससे लगभग 70 प्रतिशत स्प्राइट्स को उनकी असली बिजली गिरने से जोड़ा जा सका. यानि कि असल सोर्स का पता चल सका. वैज्ञानिकों द्वारा तीन साल बाद इस रहस्य को सुलझाया जा सका है. इससे आने वाले समय में उन्हें वायुमंडल और पृथ्वी के बीच होने वाली ऊर्जा की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी.

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Newsdesk Admin 05/07/2025
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