सीजी भास्कर, 10 सितंबर। छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या पिछले तीन वर्षों में दोगुनी हो गई है। वर्ष 2022 में जहां बाघों की संख्या 17 थी, वहीं अप्रैल 2025 के सर्वेक्षण में यह बढ़कर 35 हो गई।
यह जानकारी आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में सम्पन्न छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में दी गई।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों का संरक्षण और संवर्धन हमारी प्राथमिकता है। हमारा राज्य वन संपदा और वन्य प्राणियों के मामले में अत्यंत समृद्ध है।
इन्हें सुरक्षित और विकसित करने के लिए सरकार पूर्णतः प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि बाघों की संख्या में दोगुनी वृद्धि (Tiger Conservation in Chhattisgarh) इस बात का प्रमाण है कि राज्य में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सार्थक कार्य हुआ है।
मुख्यमंत्री ने राज्य में बाघों की संख्या 17 से 35 तक पहुँचने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अब हमें अन्य वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में भी ठोस प्रयास करने होंगे।
छत्तीसगढ़ के कई इलाके ऐसे हैं जिन्हें वन्यजीव संरक्षण (Tiger Conservation in Chhattisgarh) के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। जशपुर जिले के नीमगांव में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं।
यहां प्रवासी पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन हेतु आवश्यक कार्य किए जाने की आवश्यकता है। इसी तरह अन्य क्षेत्रों की पहचान कर उनका भी विकास किया जाना चाहिए।
इससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि राज्य में बाघों की संख्या के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन में भी वृद्धि हुई है तथा उनके रहवासों में सुधार के प्रयास जारी हैं।
आगे इसके और बेहतर परिणाम जनता के सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि आज पारित प्रस्ताव जनहित के महत्वपूर्ण कार्य हैं, जो शांति का वातावरण स्थापित करने में सहायक होंगे।
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि वन्यजीवों एवं जैव विविधता को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।
बोर्ड के सदस्य सचिव अरुण कुमार पांडेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) द्वारा विभागीय उपलब्धियों और एजेण्डा पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।
उन्होंने बताया कि राज्य में सर्वाधिक बाघ अचानकमार टाइगर रिज़र्व में हैं।
राज्य वन्यजीव बोर्ड की 14वीं बैठक में पारित निर्णय के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व और गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में मध्यप्रदेश से बाघ एवं बाघिन के ट्रांसलोकेशन की अनुमति मिल चुकी है।
शीघ्र ही ट्रांसलोकेशन की कार्यवाही पूर्ण की जाएगी।
उन्होंने बताया कि राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
असम से लाए गए वनभैंसों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इसी प्रकार राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संरक्षण हेतु भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। “मैना मित्र” नामक समूह का गठन किया गया है, जो मैना के संरक्षण और उनके रहवास की निगरानी करता है।
टाइगर रिज़र्व और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अन्य सुविधाएं विस्तारित की जा रही हैं, जिससे समीपवर्ती ग्रामवासियों को रोजगार मिलेगा।
वन्यजीव संरक्षण (Tiger Conservation in Chhattisgarh) में भी सहयोग प्राप्त होगा।
बैठक में वन्यजीव संरक्षण और संवर्धन हेतु गश्ती मार्ग निर्माण तथा संरक्षित क्षेत्र के युक्तियुक्तकरण के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।
उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व, गरियाबंद अंतर्गत धवलपुर से कुकरार तक सड़क निर्माण कार्य, मिशन अमृत योजना के तहत पाइपलाइन विस्तार कार्य तथा कवर्धा वनमंडल में इंटरनेट सुविधा के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की अनुमति प्रदान की गई।
इससे वन क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणों को मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी, शासकीय योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों को डिजिटल भुगतान की सुविधा मिलेगी।
ग्रामीणों के सामाजिक-आर्थिक विकास में सुधार होगा और क्षेत्रीय अमलों के लिए सूचना संप्रेषण मजबूत होगा।
बैठक में राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड के सदस्यों ने वन्यजीव संरक्षण के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
बैठक में विधायक धर्मजीत सिंह, विधायक चैतराम अटामी, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, अपर मुख्य सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, सचिव वन अमरनाथ प्रसाद तथा अन्य माननीय सदस्य और गैर-शासकीय संस्थाओं के प्रख्यात वन्यजीव विशेषज्ञ उपस्थित थे।