इंदौर , 19 मार्च 2025 :
इंदौर में पारंपरिक गेर के कई ऐसे किस्से हो जाते है जो आयोजकों से लेकर आमजनता को जीवनभर याद रहते है। ऐसे ही कुछ किस्से आज हम आपके लिए लेकर आए है, जो आयोजकों के जेहन में आज भी ताजा है। इन किस्सों के याद आते ही उनके चेहरे भी खुशी से खिल उठते है।
10 खच्चर आज तक नहीं मिले
संगम कार्नर चल समारोह समिति की गेर में पिछले साल ही ऐसा किस्सा हुआ। इन किस्सों को याद करते हुए गेर संयोजक कमलेश खंडेलवाल ने कहा कि किस्से ऐसे ही कि उन्हें बताने के लिए भी काफी समय चाहिए। गेर का एक किस्सा ऐसा है कि हमारे पिताजी गेर निकालते थे, तब आकर्षण के लिए 100 खच्चर ले आए थे।
प्रजापत जी से खच्चर लेकर आए थे। गेर में तो वह खच्चर ले आए, लेकिन वहां से खच्चर गायब हो गए। गेर के बाद आयोजक और प्रजापत जी सभी मिलकर शहर में चार दिनों तक खच्चर तलाशते रहे। चार दिन बाद भी 90 खच्चर ही मिली, 10 खच्चर आज भी नहीं मिले।
सीएम साहब शराब दुकान हटवा दो
पिछले साल की गेर में सीएम डॉ.मोहन यादव भी शामिल हुए थे। गेर में शामिल होकर जब कैलाश जी और मुख्यमंत्री जी राजवाड़ा पहुंचे तो राजवाड़ा पर जो शराब की दुकान है, वहां ऊपर रहने वाले रहवासी ने घर से ही विरोध व्यक्त कर दिया कि साहब यहां से शराब की दुकान हटवाओ।
सीएम साहब ने भी तत्काल वहां किसी को ये बात नोट करवाई। हालांकि शराब की दुकान आज भी राजवाड़ा इलाके में है। हमारी गेर सुधार की तरफ भी आकर्षित करती है लोगों को। गेर में बहुत से ऐसे किस्से है
6 फीट ऊंचा कढ़ाव लगाते थे।
उन्होंने बताया कि आज से कई साल पहले हमारी गेर के आयोजक 6 फीट ऊंचा कढ़ाव लगाते थे। इसमें लोगों को टांगाटोली करके डाल देते थे। इसका उद्देश्य यही था कि व्यक्ति गेर में शामिल होने के पहले रंग से सराबोर हो जाए, लेकिन बाद में ऐसा हुआ कि हर किसी को उस कढ़ाव में डालने लगे। इसके बाद हमे कढ़ाव को हटाना पड़ा।
गणेशजी बनाकर बैठा दिया था
मॉरल क्लब गेर के आयोजक अभिमन्यु मिश्रा ने बताया कि पहले जब हमारे मामा इस गेर को बैलगाड़ी पर निकालते थे। बैलगाड़ी पर टंकियां रखी जाती थी। उस वक्त घोड़े-ऊंट तक इसमें शामिल होते थे। एक बार ऐसा हुआ कि गेर में ऊंटों को लाया गया मगर गोराकुंड चौराहे पर एक ऊंट ने एक आदमी को कंधे पर ही काट लिया।
इसके बाद से ऊंटों को गेर में लाना बंद करना पड़ा। इसी प्रकार से हमारे मामा के एक दोस्त थे। उनका वजन काफी ज्यादा था। इसलिए हमने उनको गेर में गणेशजी बनाकर बैठा दिया था।
घर की छत से महिला ने डाला रंग, तलाशते रहे
टोरी कॉर्नर गेर के आयोजक शेखर गिरी ने बताया कि कुछ साल पहले टोरी कॉर्नर से कुछ लोग निकले और खजूरी बाजार में जाकर रुक गए। यहां पर छत से एक महिला ने उन पर रंग डाल दिया। रंग डाल दिया तो वे लोग वहीं रुके रहे। बहुत देर तक वो इंतजार करते। जब गेर खत्म हो गई तो वो वापस खजूरी बाजार आए।
इस तरह वो लोग दो से तीन दिनों तक उस घर के वहां चक्कर लगाते रहे। वहां दुकानदार ने पूछा कि भईया क्या बात है दो तीन दिनों से रोज यहां के चक्कर लगा रहे हो, तो उन्होंने बताया कि रंगपंचमी पर किसी महिला ने यहां ऊपर से रंग डाला था। तो दुकानदार ने बताया कि वो तो उनके यहां मेहमान आए थे वो तो चले गए अब आप भी यहां आना मत।
इसी तरह हमारे एक मित्र थे, छोटा और बड़ा सराफा के बीच में खड़े थे। उन्हें शुगर की दिक्कत थी। उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे वॉशरूम जाना है। मैं कहा कि कपड़े तो गीले ही हो रहे है। पेंट में ही कर लो। वो वॉशरूम के लिए नीचे बैठ गए अब आगे का वर्णन नहीं कर सकता हूं।