सीजी भास्कर 19 दिसम्बर रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग ने वाहन सुरक्षा को लेकर एक कड़ा संदेश दिया है। आयोग ने इनोवा कार में दुर्घटना के दौरान एयरबैग सक्रिय न होने को गंभीर तकनीकी चूक मानते हुए टोयोटा किर्लोस्कर मोटर कंपनी पर 61 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा लगाने का आदेश सुनाया। यह फैसला (Toyota airbag failure verdict) के रूप में उपभोक्ता अधिकारों के क्षेत्र में अहम माना जा रहा है।
सड़क हादसा जिसने सवाल खड़े किए
मामला 23 अप्रैल 2023 का है, जब कोरबा निवासी व्यापारी अमित अग्रवाल रायपुर से कोरबा लौट रहे थे। तरदा गांव के पास सामने से आ रहे वाहन को बचाने के प्रयास में इनोवा कार अनियंत्रित होकर पलट गई और पेड़ से जा टकराई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, लेकिन सुरक्षा के लिए लगाए गए एयरबैग एक भी नहीं खुले, जो (Innova accident compensation) की मांग का मुख्य आधार बना।
गंभीर चोटें और लंबा इलाज
दुर्घटना में अमित अग्रवाल को गंभीर शारीरिक चोटें आईं। उनका इलाज रायपुर के साथ-साथ हैदराबाद में भी कराया गया, जिस पर कुल मिलाकर लगभग 36.83 लाख रुपये खर्च हुए। परिजनों का कहना था कि यदि एयरबैग समय पर सक्रिय हो जाते, तो चोटों की गंभीरता काफी हद तक कम हो सकती थी।
जिला आयोग से राज्य आयोग तक मामला
इलाज में हुए भारी खर्च और वाहन की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कार मालिक सुमित अग्रवाल ने कोरबा जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से कोई प्रभावी उपस्थिति नहीं होने पर जिला आयोग ने एकपक्षीय आदेश पारित किया। बाद में कंपनी ने राज्य आयोग में अपील की, लेकिन वहां भी (CG Consumer Commission fine) के तहत कंपनी की दलीलों को स्वीकार नहीं किया गया।
कंपनी की दलीलें क्यों नहीं चलीं
अपील के दौरान कंपनी ने बीमा भुगतान और तकनीकी रिपोर्ट के अभाव जैसे तर्क रखे, लेकिन आयोग ने साफ कहा कि दुर्घटना की प्रकृति और वाहन की स्थिति यह दर्शाती है कि एयरबैग का न खुलना विनिर्माण दोष और सेवा में कमी दोनों की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर जिला आयोग के आदेश को बरकरार रखा गया।
उपभोक्ताओं के लिए नज़ीर
राज्य उपभोक्ता आयोग का यह फैसला वाहन निर्माताओं के लिए चेतावनी और आम उपभोक्ताओं के लिए राहत का संकेत माना जा रहा है। आयोग ने स्पष्ट किया कि महंगे और प्रीमियम वाहनों में सुरक्षा फीचर्स केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि वास्तविक हालात में काम करने चाहिए।


