सीजी भास्कर, 5 नवंबर। बुधवार सुबह का वक्त था, जब एक ट्रेन हादसे (Train Accident Mirzapur) ने पूरे जिले को दहला दिया। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए जा रही छह महिलाओं की कालका एक्सप्रेस से कटकर मौत हो गई। हादसा सुबह करीब 9:30 बजे चुनार रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर हुआ। मृतकों में दो सगी बहनें भी शामिल हैं।
यूपी के मिर्जापुर में चोपन से आने वाली पैसेंजर ट्रेन चुनार पहुंची थी। स्टेशन पर श्रद्धालुओं की (Kartik Purnima crowd) भीड़ इतनी अधिक थी कि कुछ महिलाएं प्लेटफॉर्म पर उतरने की बजाय सीधे ट्रैक की ओर उतर गईं। इसी दौरान दूसरे ट्रैक से तेज रफ्तार कालका एक्सप्रेस आ गई। अचानक ट्रेन देखकर लोग घबरा गए — पुरुष तो किसी तरह प्लेटफॉर्म पर चढ़ गए, लेकिन महिलाएं नहीं संभल पाईं और (train mishap) की चपेट में आ गईं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हादसा इतनी तेजी से हुआ कि कोई कुछ समझ ही नहीं पाया। जब तक लोग कुछ कर पाते, तब तक ट्रेन गुजर चुकी थी और करीब 50 मीटर तक शवों के टुकड़े ट्रैक पर बिखर चुके थे। बाद में पुलिस ने शवों को बैग में भरकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि कालका एक्सप्रेस का चुनार में स्टॉपेज नहीं है, इसलिए ट्रेन की गति अधिक थी। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है कि इतनी भीड़ के बावजूद रेलवे ने ट्रेन को धीमी गति से क्यों नहीं निकाला। गंगा घाट रेलवे स्टेशन यहां से महज 2–3 किलोमीटर दूर है।
मृतकों की पहचान सविता (28), साधना (15), शिवकुमारी (17), अंजू देवी (20), सुशीला देवी (60) — सभी मिर्जापुर निवासी थीं, जबकि सोनभद्र की कलावती देवी (50) भी इस हादसे में शामिल हैं।
कार्तिक स्नान बना मातम का पर्व
मिर्जापुर में बुधवार का दिन श्रद्धा के साथ शुरू हुआ था, लेकिन कुछ ही मिनटों में वह मातम में बदल गया। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महिलाएं गंगा घाट जाने निकली थीं ताकि पुण्य प्राप्त कर सकें। पर भीड़ और अफरातफरी के बीच यह यात्रा आखिरी साबित हुई। कालका एक्सप्रेस की तेज रफ्तार ने छह जिंदगियों को छीन लिया। जो महिलाएं घर से स्नान का संकल्प लेकर निकली थीं, वे अब लौटकर कभी नहीं आएंगी। घटना के बाद उनके घरों में मातम पसरा है और गांवों में सिर्फ चीखें सुनाई दे रही हैं। श्रद्धालुओं में दहशत और गुस्सा दोनों है।
रेल प्रशासन पर उठे सवाल, गुस्से में ग्रामीण
स्थानीय लोगों ने हादसे को पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही बताया है। उनका कहना है कि स्टेशन पर हजारों श्रद्धालु मौजूद थे, फिर भी रेलवे ने ट्रेन की गति कम नहीं की। हादसे के बाद लोगों में इतना आक्रोश था कि कई देर तक स्टेशन पर हंगामा मचा रहा। प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि कोई भी अधिकारी मौके पर समय पर नहीं पहुंचा। लोगों ने कहा, “अगर ट्रेन थोड़ी धीमी होती तो ये जानें बच सकती थीं।” अब क्षेत्र में सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। हादसे ने रेलवे की तैयारियों पर बड़ा सवालचिह्न लगा दिया है।
