सीजी भास्कर, 28 सितंबर। स्कूल शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति (Deputation Issue) के नाम पर अफसरों और शिक्षकों की कुर्सी अदला-बदली का खेल शुरू हो गया है। विभाग ने महज ढाई महीने के भीतर कई अधिकारियों को बार-बार इधर-उधर भेजा है। इससे न सिर्फ शिक्षण व्यवस्था पर असर पड़ा है, बल्कि नियमों की अनदेखी और पहुंच वालों को लाभ देने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं।
तीन महीने पहले प्राचार्य जुगल किशोर ध्रुव को माध्यमिक शिक्षा मंडल से हटाकर संस्कृत विद्यामंडलम में सचिव (Transfer Scam) बनाया गया था। अब उन्हें प्रतिनियुक्ति पर रायपुर डाइट का प्राचार्य बना दिया गया। इसी तरह प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल को जुलाई में रायपुर से हटाकर महासमुंद डाइट भेजा गया था, मगर अब उन्हें संस्कृत विद्यामंडलम भेज दिया गया है। शिक्षा आयोग के पूर्व सचिव ओपी मिश्रा को भी ढाई महीने पहले एससीईआरटी भेजा गया था, अब उन्हें कांकेर शिक्षा कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया (Transfer Scam)।
इसी बीच कुछ कनिष्ठ शिक्षकों को भी पहुंच के दम पर मिशन समन्वयक और संकुल समन्वयक का पद दे दिया गया। वहीं कई शिक्षक जिन्हें युक्तियुक्तकरण (School Education) के तहत उन स्कूलों में भेजा गया था, जहां शिक्षकों की भारी कमी है, उन्हें बीच सत्र में ही हटा दिया गया। यह स्थिति क्लर्क, सहायक शिक्षक, व्याख्याता और प्राचार्यों के लगातार तबादलों पर सवाल खड़े कर रही है। खास बात यह है कि सरकार ने तबादलों पर रोक लगाई हुई है, फिर भी विभाग ने प्रतिनियुक्ति के आधार पर 100 कर्मियों का 10 टुकड़ों में तबादला कर दिया (Raipur News)।
सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग की स्थानांतरण नीति 2025 के अनुसार प्रतिनियुक्ति और वापसी में समन्वय की आवश्यकता होती है, मगर विभाग ने इसे नजरअंदाज कर सीधे आदेश जारी कर दिए। उदाहरण के तौर पर रायपुर डाइट के प्राचार्य बीएल देवांगन को प्रतिनियुक्ति से हटाकर लोक शिक्षण संचालनालय का प्रभारी उप संचालक बना दिया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और विभागीय सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी से संपर्क करने की कोशिश की, मगर बात नहीं हो पाई।
वहीं मंत्री गजेंद्र यादव ने हाल ही में समीक्षा बैठक में साफ कहा था कि शिक्षा विभाग में कसावट जरूरी है और यही विभाग भाजपा की सत्ता वापसी में निर्णायक भूमिका निभाएगा। मगर मौजूदा सूची मंत्री के निर्देशों के विपरीत नजर आ रही है। विभागीय सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी और संचालक ऋतुराज रघुवंशी पर नियमों की अनदेखी का आरोप लग रहा है (Teacher Transfer)।
पिछले साल मुख्यमंत्री ने सत्र शुरू होने से पहले युक्तियुक्तकरण कर शिक्षकविहीन स्कूलों में स्टाफ भेजा था। लेकिन इस बार की सूची में उन्हीं नामों को समन्वयक या अफसर बना दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार की जा रही कुर्सी अदला-बदली से शिक्षा व्यवस्था उलझ गई है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री सचिवालय और विभागीय मंत्री के कदमों पर टिकी हैं।