गौरेला-पेंड्रा- मरवाही, बनमनई इको फाउंडेशन और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से 6 और 7 अगस्त को आयोजित दो दिवसीय नेचर हीलिंग कैंप ने जीपीएम जिले की पर्यटन पहचान को और मजबूत कर दिया। इस आयोजन में मलेशिया से आए चार पर्यटकों सहित बिहार, बेंगलुरु, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई राज्यों से आए प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
प्रतिभागियों में बिहार के फिल्म निर्माता आर्यन चंद्रप्रकाश, वरिष्ठ पत्रकार विभाष झा, पर्यावरणविद डॉ. अरविंद गुप्ता, कोल इंडिया के सेवानिवृत्त प्रबंधक ए. के. सिंह, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय और अमलाई के शोधार्थी समेत 20 से अधिक लोग शामिल रहे।
ट्रैकिंग, जलप्रपात और ग्रामीण अनुभव
कार्यक्रम के पहले दिन पर्यावरणविद संजय पयासी ने सभी को लक्ष्मणधारा और झोझा जलप्रपात की ट्रैकिंग कराई। पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन पर मलेशियाई मेहमानों का भव्य स्वागत किया गया।
विदेशी मेहमानों ने हरी सब्जियों की खेती, बांस की टोपी, बकरी चराते चरवाहों और ऑफ-रोड राइडिंग जैसे ग्रामीण अनुभवों का भरपूर आनंद लिया।

लक्ष्मणधारा पर्यटन समिति ने पकौड़े और लेमन-जिंजर चाय परोसी, जिसने सभी को प्रभावित किया। झरने से उड़ती पानी की बूँदों में छनकर आती धूप और इंद्रधनुष का दृश्य पर्यटकों के कैमरे में कैद हो गया।
लमना गांव में सांस्कृतिक रंग
शाम को सभी प्रतिभागी लमना होमस्टे पहुंचे, जहां ग्रामीण महिलाओं ने पारंपरिक तिलक और स्वागत गीतों से उनका अभिनंदन किया।
स्थानीय गौरा-गौरी लोकनृत्य ने माहौल को उत्सव में बदल दिया। अलग-अलग संस्कृतियों का यह संगम सामुदायिक पर्यटन का आदर्श उदाहरण बना, जो आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से गांव को सशक्त बना रहा है।
दूसरे दिन की रोमांचक शुरुआत
कैंप के दूसरे दिन मलेशिया से आई पर्यटक एलिस ने ग्रामीण महिलाओं के साथ नाश्ता तैयार किया। भाषा की बाधा के बावजूद आपसी सहयोग ने सबका दिल जीत लिया।
इसके बाद सभी ने झोझा जलप्रपात की ट्रैकिंग की, जो लगभग 350 फीट ऊंचाई से गिरता है। जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई सीढ़ियों ने सफर को सुरक्षित और आसान बना दिया, जो स्थानीय पर्यटन विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की मिसाल
यह नेचर हीलिंग कैंप न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का अनुभव था, बल्कि यह संस्कृति, सहयोग और सामुदायिक विकास का जीवंत उदाहरण भी बन गया। विदेशी मेहमान अपने साथ जीपीएम जिले की यादें और यहां की मेहमाननवाजी का अनुभव लेकर लौटे।