सीजी भास्कर, 22 जुलाई |
बिलासपुर, छत्तीसगढ़:
एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जशपुर जिले की दो मासूम बच्चियों को पढ़ाई का सपना दिखाकर बिलासपुर लाया गया, लेकिन यहां उन्हें पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ बंधक बनाकर रखा, बल्कि करीब 6 महीने तक बंधुआ मजदूरी भी करवाई। बच्चियों को डराकर, धमकाकर घरेलू नौकरानी की तरह काम करने के लिए मजबूर किया गया।
क्या है पूरा मामला?
जशपुर की रहने वाली दो नाबालिग बच्चियां, जिनकी उम्र क्रमशः 13 और 16 साल है, को उनके कथित रिश्तेदार पढ़ाई कराने का झांसा देकर सिरगिट्टी क्षेत्र के तिफरा स्थित पुलिस क्वार्टर में लेकर आए थे। ये दोनों कथित रिश्तेदार – सुधीर कुजूर और अरुण लकड़ा, खुद छत्तीसगढ़ पुलिस के आरक्षक (कॉन्स्टेबल) हैं।
बच्चियों का आरोप है कि पुलिस क्वार्टर में उन्हें झाड़ू-पोंछा, बर्तन धोने और अन्य घरेलू कामों में जबरन लगाया गया। साथ ही, मारपीट, गाली-गलौज और मानसिक प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ा। बच्चियां किसी तरह रविवार रात मौका पाकर वहां से भाग निकलीं और खुद को बचाया।
फिलहाल कहां हैं बच्चियां?
भागने के बाद दोनों बच्चियों को चाइल्डलाइन और सखी सेंटर की निगरानी में रखा गया है। काउंसलिंग के दौरान उन्होंने अपने साथ हुई बर्बरता की पूरी जानकारी दी। बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया कि मामला गंभीर है, और यदि बच्चियों की बातों में सत्यता पाई जाती है, तो दोषी आरक्षकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला क्यों है चिंता का विषय?
सवाल उठता है कि क्या पुलिसकर्मियों के सरकारी क्वार्टर ऐसे अपराधों का अड्डा बन रहे हैं?
यह सिर्फ बाल श्रम का मामला नहीं, बल्कि पुलिस की छवि पर भी सवाल है।
बच्चियों का शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया, जो POCSO एक्ट व बाल श्रम कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है।