19 जून 2025 :
Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक वयस्क महिला का अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के निर्णय का उसके परिवार के विरोध किए जाने की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की आपत्तियां घृणित हैं. कोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संरक्षित है.
हाई कोर्ट ने 27 साल की महिला को दी सुरक्षा
उक्त टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की इच्छुक 27 साल की महिला को सुरक्षा उपलब्ध कराई. महिला को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की इच्छा के कारण अपहरण किए जाने की आशंका थी. जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता परिवार ने 27 साल की महिला के अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के निर्णय पर आपत्ति करना, घृणित है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक वयस्क को यह अधिकार प्राप्त है.”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसे यह नहीं पता कि याचिकाकर्ताओं- घर की महिलाओं, पिता और भाई का वास्तव में अपहरण करने का इरादा है या नहीं, लेकिन यह मामला एक वृहद सामाजिक मुद्दे (संवैधानिक और सामाजिक नियम कायदे के बीच मूल्यों के अंतर) को परिलक्षित करता है.
कोर्ट ने कहा, “इस तरह के अधिकार के प्रयोग के प्रति सामाजिक और पारिवारिक विरोध, संवैधानिक और सामाजिक नियमों के बीच ‘मूल्यों के अंतर’ को स्पष्ट रूप से चित्रित करता है. जब तक यह अंतर बना रहेगा, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी.”
पिता और भाई की याचिका पर हुई सुनवाई
कोर्ट महिला (चौथी प्रतिवादी) के पिता और भाई की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें महिला ने मिर्जापुर जिले के चिल्ह थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 140(3) (अपहरण), 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और अन्य के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.
एफआईआर में महिला ने अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की इच्छा के खिलाफ उसका अपहरण किए जाने की आशंका व्यक्त की है. हालांकि, कोर्ट ने एफआईआर के संबंध में इन याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को महिला के जीवन में या उस व्यक्ति के जीवन में जिससे वह शादी करना चाहती है, किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने से रोका है.
कोर्ट ने 13 जून को दिए अपने आदेश में राज्य सरकार के वकील और महिला को इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को करने का आदेश दिया.