सीजी भास्कर 12 दिसम्बर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई हालिया फोन बातचीत ने लंबे समय से अटके हुए “US-India trade deal” को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। महीनों की ठंडक के बाद यह बातचीत दोनों देशों के बीच नई कोशिशों और सकारात्मक माहौल का संकेत देती है, जिस पर विशेषज्ञों की नज़रें टिक गई हैं।
पहले फेज में क्या बदलेगा—रूसी तेल पर 25% पेनल्टी टैरिफ हटने की उम्मीद
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ मानते हैं कि इस डील के शुरुआती चरण में दो बड़े फैसले सामने आ सकते हैं।
पहला—भारत पर लागू रूसी तेल से जुड़े 25% पेनल्टी टैरिफ को हटाया जा सकता है, जो पिछले कई महीनों से नई दिल्ली की परेशानी बना हुआ है।
दूसरा—भारत भी अमेरिका पर लगाई गई अपनी कुछ जवाबी ड्यूटी को घटाकर लगभग 15–16 प्रतिशत के स्तर पर ला सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शुरुआती फेज में इतना भी हो गया, तो यह दोनों देशों के लिए एक मजबूत शुरुआत मानी जाएगी और इसे एक “constructive step” के रूप में देखा जाएगा।
रणनीतिक साझेदारी—ट्रेड डील से आगे निकली बातचीत
पीएम मोदी के सोशल पोस्ट के अनुसार दोनों नेताओं ने बातचीत के दौरान स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की पूरी समीक्षा की।
ट्रेड, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, डिफेंस और सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को तेज करने पर सहमति बनी।
इससे यह साफ होता है कि यह केवल trade negotiations का मामला नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी की नई दिशा भी है।
किस वजह से अटकी थी डील—कृषि सेक्टर से लेकर डिजिटल ट्रेड तक विवाद
ट्रेड डील महीनों से जिस वजह से अटकी पड़ी थी, उसमें सबसे बड़ा मसला कृषि क्षेत्र से जुड़ा है।
अमेरिका चाहता है कि भारत उसके डेयरी, मीट और पोल्ट्री उत्पादों के लिए अमेरिकी हेल्थ सर्टिफिकेट को स्वीकार करे।
भारत के लिए यह सेक्टर बेहद संवेदनशील है—धार्मिक भावनाओं, पशु-आहार और स्थानीय किसानों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
इसके अलावा, digital trade rules भी टकराव का बड़ा विषय बन चुके हैं।
अमेरिका भारत से ई-रिटेल में इन्वेंट्री-बेस्ड मॉडल की मांग कर रहा है, जबकि भारत अभी मार्केटप्लेस मॉडल के पक्ष में है।
डील नज़दीक, पर शर्तें बराबर हों—एक्सपर्ट्स की चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा स्थिति पहले से कहीं ज्यादा अनुकूल दिख रही है और “US-India trade deal” अब दूरी पर नहीं लगती।
लेकिन यह तभी टिकाऊ होगी, जब इसका ढांचा संतुलित और दोनों देशों के लिए निष्पक्ष हो।
यह बात भारत के वाणिज्य मंत्रालय की हाल की टिप्पणियों से भी मेल खाती है।
अब नज़रें इस पर हैं कि मोदी–ट्रंप फोन कॉल से उत्पन्न सकारात्मक माहौल आने वाले हफ्तों में किस तरह के ठोस परिणाम के रूप में सामने आता है।


