सीजी भास्कर, 02 दिसंबर। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT University) को लेकर बनी जांच समिति की रिपोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कई गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश किया है।
हाल ही में छात्रों के विरोध और बड़े बवाल के बाद निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की तीन सदस्यीय जांच टीम ने स्पष्ट किया कि अनुशासन के नाम पर विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्रों की जान तक जोखिम में डाल रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक खराब भोजन, दूषित पेयजल और अव्यवस्थित स्वास्थ्य सुविधाओं ने बड़ा खतरा उत्पन्न किया, जबकि इन गंभीर शिकायतों को लगातार दबाया गया।
शिकायतें उठाने पर धमकी, प्रबंधन के खिलाफ बोलना अपराध जैसा
रिपोर्ट के अनुसार प्रबंधन न सिर्फ विद्यार्थियों की शिकायतों को नज़रअंदाज़ करता था बल्कि विरोध करने वालों को धमकाया जाता था। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में बताया गया कि छात्रों की समस्याओं को हल करने की बजाय उन्हें फेल करने, परीक्षा से रोकने और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी जाती थी। कई छात्रों ने बयान दिया कि शिकायत करने पर आइकार्ड जब्त कर लिया जाता था या प्रायोगिक परीक्षाओं में कम अंक दिए जाते थे।
दो–तीन लोग ही चलाते थे पूरी यूनिवर्सिटी, बाकी केवल दिखावे के अधिकारी
जांच में यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय में निर्णय लेने की शक्ति मात्र दो–तीन अधिकारियों के हाथ में केंद्रित थी। शेष अधिकारी औपचारिक भूमिकाओं तक सीमित थे और अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाने पर छात्रों को बार-बार दंडित किया जाता था। प्रबंधन के तानाशाही रवैये ने छात्रों को भय और दबाव के माहौल में रहने पर मजबूर कर दिया था।
मेस और हॉस्टल में भोजन व पानी की गुणवत्ता बेहद खराब
रिपोर्ट में कहा गया कि करीब 15 हजार छात्रों वाले विशाल परिसर में मेस और हॉस्टल की स्थिति बेहद खराब थी। छात्रों को बार-बार खराब, बासी और निम्न गुणवत्ता वाले भोजन की शिकायत करनी पड़ी, लेकिन प्रबंधन का जवाब था—“जो है, वही खाना पड़ेगा।” कई छात्राओं ने पेयजल में दुर्गंध की शिकायत की। नियमित माइक्रोबायलॉजिकल टेस्टिंग नहीं की जा रही थी और स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता अस्थिर थी।
35 छात्र पीलिया से ग्रस्त, स्वास्थ्य केंद्र अव्यवस्थित
पिछले दस दिनों में 35 छात्रों में पीलिया की पुष्टि हुई है, जिसे प्रबंधन ने भी स्वीकार किया। हालांकि किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन जांच टीम ने पाया कि स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह अव्यवस्थित था—न उपचार का रिकॉर्ड था, न दवाइयों का सही प्रबंधन, और न ही स्वास्थ्य केंद्र का वैध पंजीयन उपलब्ध था।
आरोपों पर कुलाधिपति को नोटिस, सात दिन में जवाब तलब
जांच रिपोर्ट के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति को नोटिस जारी कर सात दिनों में जवाब मांगा है। VIT University पर लगे आरोपों ने यह बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि गुणवत्ता, अनुशासन और सुरक्षा की आड़ में आखिर छात्रों को किस हद तक नजरअंदाज किया जा रहा था। रिपोर्ट से स्पष्ट है कि प्रबंधन की कठोर और गैर-पारदर्शी नीतियां सीधे तौर पर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और अधिकारों को प्रभावित कर रही थीं।
