24 जून 2025 :
महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी से विधायक अबू आजमी ने वारी यात्रा पर दिए गए विवादास्पद बयान के लिए माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि उनके बयान से गलतफहमी हुई और वारकरी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है. आजमी ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का नहीं था, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव पर ध्यान आकर्षित करना था. उन्होंने अपने बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किए जाने का भी आरोप लगाया है.
अबू आजमी अपने बयानों के कारण चर्चाओं में बने रहते हैं. इसके कारण उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ता है. पिछली बार उन्होंने औरंगजेब को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके बाद देशभर में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे. इसके साथ ही मामला भी दर्ज किया गया था.
महाराष्ट्र के नासिक में विधायक के गुस्से के बाद आखिरकार अबू आजमी ने माफी मांग ली है, लेकिन भाजपा आध्यात्मिक मोर्चा के अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि अगर महाराष्ट्र की अस्मिता से खेलना जारी रखा तो वहीं दफना दिए जाओगे.
माफी मांगते हुए क्या बोले आजमी?
विवाद बढ़ता देख अबू आजमी ने इस मामले में जल्दबाजी करते हुए माफी मांग ली है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि हाल ही में सोलापुर में मेरे द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर जो गलतफहमियां फैली हैं, मैं उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूं. मेरे वक्तव्य को तोड़मरोड़ कर और दुर्भावनापूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया. यदि इससे वारकरी सम्प्रदाय की धार्मिक भावना आहत हुई हो, तो मैं अपने शब्द पूरी तरह से वापस लेता हूं और क्षमा चाहता हूं. मेरी मंशा कभी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी.
उन्होंने आगे लिखा कि मैं एक समर्पित समाजवादी हूं और हमेशा से हर धर्म, संस्कृति, सूफी संतों तथा उनकी परंपराओं का आदर करता आया हूं. मैं वारी परंपरा का पालन कर रहे सभी वारकरी भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और उनके प्रति अपनी सम्मान भावना प्रकट करता हूं. यह परंपरा महाराष्ट्र की सर्वधर्मीय, समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का गौरवपूर्ण हिस्सा है, जिसका मैं व्यक्तिगत रूप से सम्मान करता हूं.
उपेक्षित समाज के हक़- सम्मान लड़ाई रहेगी जारी
आजमी ने सफाई पेश करते हुए कहा कि मेरी तरफ से वारी पालखी का उल्लेख केवल मुस्लिम समाज के साथ हो रहे भेदभाव और उनके अधिकारों के संदर्भ में किया गया था. यह किसी प्रकार की तुलना नहीं थी एवं मेरी नीयत और मेरी मांग किसी भी रूप में अनुचित नहीं थी.
उन्होंने कहा कि मेरी केवल इतनी मंशा थी कि सरकार का ध्यान इस बात की ओर आकृष्ट कर सकूं कि उसके दोहरे मापदंड अल्पसंख्यक समुदाय के मन में यह भावना न उत्पन्न करें, कि उनके लिए इस देश में अलग कानून हैं. जब की हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी खुद कहते है सब का साथ, सब का विकास और सब का विश्वास. हम उपेक्षित समाज के हक़, सम्मान और बराबरी की लड़ाई मजबूती से जारी रखेंगे, लेकिन कभी भी देश की एकता पर आंच नहीं आने देंगे.
पंढरपुर वारी पर क्या बोले थे अबू आजमी?
सपा विधायक अबू आजमी ने सदियों पुराने तीर्थ स्थल ‘पंढरपुर वारी’ तक निकलने वाली वारकारी संप्रदाय के पालकी समारोह की तुलना सड़क पर नमाज पढ़ने से की थी. उन्होंने कहा कि कई हिंदू त्यौहार सड़कों पर मनाए जाते हैं. लेकिन कोई भी मुस्लिम व्यक्ति हिंदू त्योहारों के खिलाफ शिकायत नहीं करता. लेकिन जब कोई मुस्लिम दस मिनट के लिए सड़क पर नमाज पढ़ता है, तो शिकायत की जाती है. पुणे से निकलते समय मुझे कहा गया कि जल्दी चले जाओ, नहीं तो वारकारी संप्रदाय के पालकी समारोह के कारण सड़कें बंद हो जाएंगी. आजमी के इसी बयान के बाद समाज की नाराजगी सामने आई थी.