सीजी भास्कर, 31 अगस्त। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में हर साल नंदा देवी महोत्सव मनाया जाता है। यह त्योहार देवी नन्दा और उनकी बहन सुनंदा की पूजा के लिए समर्पित है।
नैनीताल के नैना देवी मंदिर में इस बार 29 अगस्त से महोत्सव की शुरुआत हो गई है, जो 5 सितंबर तक चलेगा।
इस महोत्सव में बकरे की बलि देने की परंपरा काफी पुरानी है, लेकिन पिछले 15 सालों से बकरों की बलि देने पर हाईकोर्ट की ओर से प्रतिबंध था। हालांकि, अब हाईकोर्ट की ओर से पशु बलि देने की इजाजत दे दी गई है।
परंपरागत रूप से देवी को प्रसन्न करने और समृद्धि की कामना के लिए पशु बलि दी जाती थी।
पशु क्रूरता रोकथाम कानून और बढ़ते पशु अधिकार आंदोलनों के चलते इस पर साल 2010 में रोक लगाई गई थी। मंदिर में पशुओं के प्रवेश और बलि दोनों पर उस समय रोक लगाई गई थी।
इसके खिलाफ नैनीताल के रहने वाले पवन जाटव और बाकी लोगों ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
याचिका में बताया गया कि ये एक बहुत पुरानी प्रथा है। ऐसे में इस प्रथा को रोके जाने से लोगों की आस्था को ठेस पहुंच रही है। उत्तराखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को इजाजत दी गई।
अब नंदा देवी महोत्सव के दौरान स्लॉटर हाउस बनाकर बलि दी जा सकेगी।
हालांकि, मंदिर के अंदर अब भी पशु बलि पर रोक रहेगी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर से की जाएगी।
इससे पहले भी तीन बार मांग की
साल 2010 के बाद 2015 और 2016 में भी हाईकोर्ट से पशु बलि की इजाजत मांगी गई थी, लेकिन प्रतिबंध को हटाया नहीं गया था और रोक बरकरार रखी थी।
हाईकोर्ट की ओऱ से इजाजत देते हुए आदेश दिया गया है कि नगर पालिका स्लॉटर हाउस में बकरे की बलि देने के लिए एक स्थान निर्धारित करे।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की पीठ ने की। इसके साथ ही पीसीबी को भी NOC जारी करने का आदेश दिया गया है।
याचिकाकर्ता जाटव ने स्लॉटर हाउस में पशु बलि दिए जाने की इजाजत मांगी थी।
उन्होंने कहा था कि पशु बलि पर रोक लगाने से श्रद्धालुओं की भावनाएं काफी समय से आहत हो रही है।
जाटव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नगर पालिका को उस स्लॉटर हाउस में कुर्बानी की इजाजत देने का निर्देश देने की मांग की थी, जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से NOC के न होने की वजह से बंद पड़ा था।
कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा
पीसीबी के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि ईटीपी काम नहीं कर रहा है। इसलिए इजाजत नहीं है।
इस पर नगर पालिका ने दलील दी कि ईटीपी अब काम कर रहा है और पीसीबी को भी जानकारी दे दी गई है।
हाईकोर्ट ने पीसीबी को निरीक्षण के बाद एक्टिविटी को फिर से शुरू करने की इजाजत देने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अगर स्लॉटर हाउस का ETP ठीक से काम कर रहा है, तो PCB (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) वहां बलि की इजाजत दे सकता है।
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राज्य को ऐसे अनुष्ठानों को हतोत्साहित करना चाहिए और लोगों को अंधविश्वास पूर्ण पशु बलि के खिलाफ शिक्षित करना चाहिए।
गैर-सरकारी संगठन पीपल फॉर एनिमल्स की गौरी मौलेखी ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर बलि पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है।