सीजी भास्कर, 12 मई। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशानुसार 8 अप्रैल से 31 मई 2025 तक सुशासन तिहार 2025 संचालित किया जा रहा है।
समाधान पेटी रखकर लोगों से आवेदन लिया जा रहे हैं। इस दौरान उनका निराकरण करने को लेकर प्रयास किया जा रहा है। लेकिन कई लोग सरकार से अजीबोगरीब मांग भी कर रहे हैं, जिन्हें देखकर अधिकारी भी सन्न रह जा रहे हैं। ऐसी ही एक डिमांड 8 युवकों ने की, जिसे जान आप भी चौंक जाएंगे।
गरियाबंद के 8 युवकों ने सरकार से आवेदन में कहा- दुल्हन दिला दीजिए साहब, अकेलेपन से लड़ते-लड़ते थक चुके हैं। कोई लड़की नहीं मिल रही। एक युवा ने तो यहां तक लिख डाला कि मुझे विधवा, तलाकशुदा, या नहीं तो अनाथ गरीब कन्या ही दिला दो।
सोशल मीडिया में भी यह आवेदन काफी वायरल हो रहा है। लेटर में राजिम नगर पंचायत के ब्रम्हचर्य वार्ड निवासी 36 वर्षीय चंदन साहनी ने शासन-प्रशासन से दुल्हन दिलाने की मांग की है।
युवक ने सरकार से गुहार लगाते हुए लिखा कि उसे जीवन संगनी चाहिए. विधवा, तलाशशुदा, अनाथ गरीब घर की भी लड़की हो तो वह बिना किसी शर्त जीवन साथी बनाने तैयार है।
चंदन ने बताया कि वह अकेला रहता है, जिंदगी गुजारने जीवन संगनी की तलाश में थक चुका था, इसलिए सरकार से उम्मीद कर उसने कन्या की मांग की है।
गरीबी के कारण नहीं हो पा रही युवकों की शादी
इतना ही नहीं अन्य युवक अपनी परेशानी बताते हुए कहा है कि गरीब होने के कारण शादी नहीं कर पा रहा हूं. फिंगेश्वर ब्लॉक की चैत्रा पंचायत के एक अन्य युवक ने भी इसी तरह की मांग की है।
राजिम के वार्ड नंबर 14 पर्थरा के रहने वाले प्रदीप निर्मलकर लिखते हैं कि मैं गरीब परिवार से हूं। मुझे शादी करने की योजना का लाभ उठाना है। गरीब होने के कारण शादी नहीं कर पा रहा हूं।
इसी तरह गरीबी की वजह से बेटी की शादी नहीं होने पर संतोष साहू ने कन्या विवाह योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान करने की मदद मांगी है।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिया ये जवाब
युवकों की इस मांग को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय ने जानकारी दी कि अब तक ऐसे कुल 8 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
इनमें कुछ युवकों ने विवाह हेतु आर्थिक सहायता की भी मांग की है. उन्होंने यह भी बताया कि दुल्हन की मांग करने वाले युवकों को समझाया गया है कि ऐसी निजी समस्याओं का समाधान भी सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर किया जाना चाहिए, हालांकि प्रशासन मानवीय दृष्टिकोण से इस पर भी विचार कर रहा है।