सीजी भास्कर, 21 जून। देश को झकझोर देने वाले ‘दृश्यम‘ स्टाइल मर्डर केस में एक और चौकाने वाला खुलासा हुआ है। दिल्ली की रहने वाली रीना सिंधु ने अपने प्रेमी पारितोष के साथ मिलकर पति रविंद्र कुमार (56) की निर्मम हत्या कर दी और शव को उत्तराखंड की पहाड़ियों से फेंक दिया।
पुलिस जब इस गुत्थी को सुलझा नहीं पा रही थी, तब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और टेक्निकल एविडेंस ने इस हैरान कर देने वाले हत्याकांड का खुलासा किया।
प्यार, लालच और प्लानिंग – ऐसे रची गई पति की हत्या की साजिश..?
पुलिस के मुताबिक, सिंधु और पारितोष की पहली मुलाकात एक फिजियोथेरेपी सेंटर में हुई थी, जहाँ पारितोष नियमित रूप से इलाज के लिए आता था। यही से दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और यह रिश्ता धीरे-धीरे अवैध प्रेम संबंध में बदल गया।
रीना सिंधु ने करीब 20 साल बड़े रविंद्र कुमार से शादी की थी, जो मूल रूप से मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। रविंद्र की करोड़ों की संपत्ति थी और वे हर महीने करीब एक लाख रुपये किराए से कमाते थे।
हालांकि, हाल ही में एक चेक बाउंस केस में उन्हें जेल जाना पड़ा था और वे अपनी संपत्तियाँ बेचकर 18 लाख रुपये का कर्ज चुकाना चाहते थे। इसी बात को लेकर पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होते थे।
31 मई को पार्टी के बहाने बुलाया और फिर रची गई हत्या की स्क्रिप्ट
FIR के मुताबिक, 31 मई 2025 को सिंधु ने रविंद्र को पारितोष के घर यूपी के नगीना में पार्टी के बहाने बुलाया। वहाँ पहले उन्हें शराब पिलाई गई, फिर पारितोष और सिंधु ने मिलकर उन पर धारदार हथियार से हमला किया।
रविंद्र के सीने और गले पर गहरे घाव थे, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
इसके बाद शव को SUV कार में रखकर दोनों पहले रामनगर और फिर उत्तराखंड के कोटद्वार ले गए। वहाँ एक सुनसान खाई में शव फेंक दिया गया। कुछ दिन बाद 5 जून को शव बरामद हुआ।
जांच में उलझी पुलिस, फिर ऐसे खुला राज
शुरुआत में पुलिस ने इसे सड़क हादसा माना, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मिली घातक चोटों ने शक पैदा कर दिया।
फिर सीसीटीवी फुटेज, फोन लोकेशन ट्रेसिंग और तकनीकी जांच से यह साफ हो गया कि हत्या की पूरी साजिश सिंधु और पारितोष ने मिलकर रची थी।
नोएडा में बरामद हुई रविंद्र की SUV और लोकेशन डेटा ने केस को पूरी तरह खोल दिया। दोनों आरोपियों को अब गिरफ्तार कर लिया गया है, और हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो चुका है।
यह मामला क्यों है खतरनाक संकेत?
यह केस केवल एक हत्या नहीं, बल्कि विश्वासघात, लालच और डिजिटल निगरानी के युग में पुलिस की जांच का उदाहरण है। सोशल मीडिया पर इसे लोग "दिल्ली का दृश्यम केस" कह रहे हैं, क्योंकि इसमें हत्या के बाद सबूत छुपाने की कोशिश भी फिल्मी अंदाज़ में की गई थी।