रायपुर (छत्तीसगढ़)।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि पत्नी लगातार पति को बेरोजगार कहकर ताना मारे, आर्थिक स्थिति खराब होने पर अनुचित मांगें रखे और अपमानजनक व्यवहार करे, तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। ऐसे मामले में पति को तलाक का अधिकार दिया जा सकता है।
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए एक पति को उसकी पत्नी से तलाक की अनुमति दे दी।
डिग्री और पदोन्नति के बाद बदला व्यवहार
याचिकाकर्ता पति ने कोर्ट में आरोप लगाया था कि पत्नी ने पीएचडी की डिग्री हासिल करने और स्कूल में प्रिंसिपल बनने के बाद उसके प्रति व्यवहार बदल लिया। वह छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने लगी और बार-बार बेरोजगारी को लेकर ताने देने लगी।
कोविड महामारी के दौरान जब पति की आय का स्रोत बंद हो गया, उस समय पत्नी ने लगातार उसका अपमान किया। इतना ही नहीं, उसने अपने बेटे को छोड़ते हुए अगस्त 2020 में बेटी के साथ मायके चली गई और पति से सभी रिश्ते खत्म करने का फैसला भी लिखित में दिया।
कोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता और परित्याग
हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी का यह रवैया हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) और (i-b) के अंतर्गत क्रूरता और परित्याग दोनों को सिद्ध करता है।
कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा प्रस्तुत पत्र और सबूत यह साबित करते हैं कि पत्नी ने जानबूझकर वैवाहिक रिश्ते को तोड़ा।
फैमिली कोर्ट का आदेश खारिज
इससे पहले फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट पति द्वारा दिए गए प्रमाणों और पत्नी की अनुपस्थिति को नजरअंदाज कर गया। इसलिए अब पति को तलाक की मंजूरी दी जाती है।