सीजी भास्कर 2 दिसम्बर गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में Wildlife Fear in Garhwal इस कदर गहरा गया है कि छोटे बच्चे भी अब सामान्य रास्तों से स्कूल जाने से डरने लगे हैं। पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के डांगी गांव में तीन बच्चों ने रास्ते में भालू को अपने दो शावकों के साथ देखा, जिसके बाद से गांव में माहौल पूरी तरह बदल गया है।
अब बच्चे स्कूल जाते समय टिफिन ले जाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं बंदर खाना देखकर उन पर हमला न कर दें। परिवारों ने बच्चों को सलाह दी है कि वे रास्ते में थाली, ड्रम या कोई भी धातु की वस्तु बजाते चलें ताकि जंगली जानवर पास न आएं।
गांव की महिलाएं जंगल जाने से कतराईं
जंगलों की तरफ बढ़ती wildlife movement का असर महिलाओं पर भी साफ दिख रहा है। डोभालझ्रढांडरी क्षेत्र में गुलदार की लगातार मौजूदगी के कारण महिलाएं घास लेने जंगल नहीं जा पा रही हैं।
स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने पशुओं के लिए चारा सीधे गांव-गांव पहुंचाना शुरू कर दिया है, ताकि घास लाने की मजबूरी के कारण कोई महिला खतरे में न जाए। अधिकारियों के अनुसार, “सुरक्षा पहले—चारा बाद में” की नीति के तहत यह कदम उठाया गया है। साथ ही वन्यजीव से जुड़ी किसी भी आपात स्थिति के लिए टोल-फ्री नंबर 1926 जारी किया गया है।
हाथियों की बढ़ती मौजूदगी ने चिंताएं बढ़ाईं
Wildlife Threat in Hills का सबसे बड़ा असर देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश की बाहरी सीमाओं में देखा जा रहा है। यहां हाथियों की बढ़ती आवाजाही ने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
कई इलाकों में हाथियों के घरों तक पहुंचने और रात में खेतों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आई हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि जिन परिवारों के घरों में शादी समारोह हैं, उन्होंने औपचारिक सुरक्षा की मांग की है। इसके बाद वन विभाग ने ऐसे आयोजनों के आसपास कर्मचारियों की तैनाती शुरू कर दी है, ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके।
गांवों में दहशत का माहौल, लोग खुद बना रहे बचाव योजना
Garhwal Wildlife Alert के बढ़ते मामलों ने गांवों में असुरक्षा की भावना गहरा दी है। लोग अब अपने स्तर पर छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर रास्तों पर निगरानी रख रहे हैं।
किसी भी समय बड़ी बिल्ली, भालू या हाथी के देखे जाने की आशंका के कारण ग्रामीण देर शाम घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं। बच्चों के स्कूल से लौटते समय कई अभिभावक उनके साथ चलने लगे हैं, जबकि बुजुर्गों ने शाम के बाद खेतों में न जाने का निर्णय ले लिया है।
गांववालों का कहना है कि पहाड़ों में इंसान और वन्यजीव दोनों के लिए सुरक्षित दूरी बनाए रखना अब सबसे जरूरी हो गया है।
