सीजी भास्कर, 11 सितंबर। बिलासपुर जिले की ग्रामीण महिलाएं (Women Empowerment) अब केवल घर तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि अपने गांवों की परिवहन व्यवस्था में भी अहम योगदान देंगी।
राष्ट्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) कोनी में इन दिनों जिले के चारों ब्लॉकों से आई 35 महिलाएं (E-Rickshaw Training) ले रही हैं। यह कदम न केवल महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का अवसर है बल्कि ग्रामीण परिवहन को भी नई दिशा देगा।
संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिलाएं ई-रिक्शा चलाने की तकनीक सीख रहीं हैं। बैटरी संचालन और यात्री सुरक्षा से जुड़ी जानकारी सीख रही हैं। (E-Rickshaw Training)
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद महिलाओं को एसबीआई से 2 लाख रुपए तक का लोन देकर ई-रिक्शा दिलवाया जाएगा। इसके जरिए वे अपने गांव या आसपास के क्षेत्रों में सेवा शुरू कर सकेंगी।
ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि गांवों में बस सेवा बेहद सीमित है। कई जगह तो केवल सुबह और शाम एक ही बस आती है। ऐसे में छात्राओं, मजदूरों और मरीजों को कठिनाई होती है। अब ई-रिक्शा सेवा शुरू होने से (Rural Transport) का अभाव काफी हद तक दूर होगा।
महिलाओं की प्रतिक्रियाएं
कंचन वस्त्रकार, टेंगनवाडा निवासी ने कहा कि उनके गांव से बेलगहना कॉलेज की दूरी 13 किलोमीटर है। वहां तक पहुंचने के लिए ट्रेन ही एकमात्र साधन है। लगभग 25 छात्राएं रोजाना यह सफर करती हैं।
लेकिन अन्य कामों के लिए पैदल चलना मजबूरी है। उन्होंने कहा कि ई-रिक्शा सुविधा मिलने से सभी को राहत मिलेगी।
गतौरा निवासी प्रमिला वस्त्रकार ने बताया कि उनका गांव मुख्य सड़क से 10 किलोमीटर दूर है। यहां बस या ऑटो जैसी सुविधा नहीं है, केवल ट्रक या भारी वाहन चलते हैं। (Women Empowerment)
कई बार बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि गांव में अगर ई-रिक्शा चलने लगे, तो यह लोगों के लिए जीवनरेखा साबित होगी।
दोहरा लाभ
जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधा का अभाव है। महिलाओं को ई-रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण देना दोहरा लाभ है।
इससे उन्हें (Self Employment) मिलेगा और गांवों में आवागमन आसान होगा। शासन की इस पहल से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी।
आरसेटी निदेशक राजेंद्र साहू ने बताया कि संस्थान का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।
ई-रिक्शा प्रशिक्षण इसी दिशा में एक प्रयास है। महिलाएं इसे अपनाकर न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगी, बल्कि गांव के विकास में भी योगदान देंगी।
महिलाओं के सशक्तिकरण की ओर
यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। पहले जहां महिलाएं स्वरोजगार के अवसर खोजने में संघर्ष करती थीं, वहीं अब उन्हें समाज में नई पहचान मिलेगी।
ग्रामीण अंचलों में जहां परिवहन सुविधाएं बेहद सीमित हैं, वहां यह पहल बड़ी राहत साबित होगी। महिलाओं के हाथों में स्टीयरिंग आने से उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी। समाज में (Women Empowerment) का संदेश भी जाएगा।