सीजी भास्कर, 14 नवंबर | Bhilai Industrial Accident से जुड़े इस मामले ने इलाके में सुरक्षा मानकों पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है। ठेका श्रमिक रंजीत सिंह की मौत के बाद जांच में यह साफ हुआ कि काम के दौरान ज्वलनशील पदार्थ मौजूद होने के बावजूद सुरक्षा इंतजाम बेहद कमजोर थे।
Bhilai Industrial Accident: पाइप शिफ्टिंग के दौरान लगी आग
घटना 25 अप्रैल की दोपहर लगभग 3.15 बजे उस समय हुई, जब SMS-2 कंटिनुअस कास्टिंग शॉप के कास्टर-06 सेक्शन में पाइपलाइन शिफ्टिंग का काम चल रहा था। रंजीत और उसके साथ तीन अन्य श्रमिक ज्वलनशील सामग्री के बीच काम कर रहे थे। अचानक लगी आग ने चारों को अपनी चपेट में ले लिया।
100% जलने के बाद 15 दिन तक चला इलाज
गंभीर रूप से झुलसे रंजीत सिंह को पहले मेन मेडिकल पोस्ट और फिर सेक्टर-9 अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि वह 100% बर्न इंजरी और इनहेलेशन डैमेज का शिकार हो चुके हैं।
लगातार इलाज के बावजूद 9 मई की रात 10 बजे उनकी मौत हो गई।
Bhilai Industrial Accident: दंडाधिकारी ने दर्ज किए मरणासन कथन
अस्पताल पहुंचने पर कार्यपालिक दंडाधिकारी ने चारों घायल श्रमिकों के मरणासन बयान दर्ज किए। बयान और अस्पताल की रिपोर्ट साथ मिलकर इस हादसे की गंभीरता को और पुख्ता करते हैं।
जांच में उजागर हुई गंभीर लापरवाही
दुर्ग पुलिस की जांच में सामने आया कि जिस क्षेत्र में पाइप शिफ्टिंग हो रही थी, वहां फायर-सेफ्टी उपकरण प्रभावी रूप से मौजूद नहीं थे। श्रमिकों को न तो उचित सुरक्षा सामग्री मिली और न ही उस समय कोई सक्षम सेफ्टी सुपरवाइजरी मौजूद थी।
जांच अधिकारी के अनुसार, “जहां आग लगी, वह पूरी तरह जोखिमपूर्ण ज़ोन था, लेकिन फिर भी श्रमिकों को उसी स्थिति में काम कराया गया।”
Bhilai Industrial Accident: प्रबंधन के खिलाफ दर्ज हुई FIR
जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने संयंत्र प्रबंधन की लापरवाही को प्रत्यक्ष कारण मानते हुए धारा 304-A (लापरवाही से मृत्यु) और धारा 285 (ज्वलनशील पदार्थ के प्रति लापरवाही) के तहत अपराध दर्ज किया है।
मामला अब विस्तृत विवेचना में है और श्रमिक संगठनों ने उच्चस्तरीय जांच तथा पीड़ित परिवार के लिए उचित मुआवजे की मांग उठाई है।
मजदूर संगठनों में रोष
रंजीत सिंह की मौत के बाद इलाके में श्रमिक यूनियनें लगातार यह सवाल उठा रही हैं कि बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अब भी इतना ढीलापन क्यों है।
यूनियनों का कहना है कि यदि proper safety protocol (फोकस कीफ्रेज) अपनाया गया होता, तो यह दुर्घटना टल सकती थी।
