सीजी भास्कर, 21 जून। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद जिला जेल में आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत पर सख्ती दिखाई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला दबाने और शरीर पर 35 जख्मों के निशान का जिक्र है। डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सरकार से 14 दिन में जवाब मांगा है।
जनहित याचिका के मुताबिक मृतक का नाम नीरज भोई है, जो महासमुंद जिले के ग्राम पिपरौद का रहने वाला था। नीरज को 12 अगस्त 2024 को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। जेल ले जाते वक्त मेडिकल टेस्ट कराया गया। युवक को डिप्रेशन और शराब का आदी बताया गया था।
जनहित याचिका के मुताबिक जेल ले जाते वक्त शरीर में किसी तरह के जख्म के निशान नहीं थे, लेकिन 15 अगस्त की सुबह नीरज को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत बता दिया।
जानिए जेल के मुताबिक कैसे गई युवक की जान ?
उस वक्त जेल अधीक्षक रहे मुकेश कुशवाहा का कहना था कि आदतन शराबी था और नशा नहीं मिलने के कारण खुद को और दूसरों को चोट पहुंचा रहा था। कई कैदियों को दांत से काट कर जख्मी कर चुका था, इसलिए 14 अगस्त की रात 10 बजे पैरों पर हथकड़ी लगा कर रखा गया था।
जेल अधीक्षक के मुताबिक इसके बावजूद भी वो शांत नहीं रहता था। करीब रात 11 बजे उसकी हथकड़ी खोला गया, फिर से मारपीट करने लगा। उसी रात कैदी अचानक बेहोश हो गया। स्वास्थ्य रक्षक ने कैदी की बीपी चेक की तो बहुत लो था।
हालत बिगड़ने पर रात करीब 12 बजे मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां डॉक्टर्स ने 12.35 को कार्डियक अरेस्ट के कारण उसे मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की
युवक की मौत को लेकर परिजनों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि युवक के मेडिकल परीक्षण में डिप्रेशन और क्रोनिक एल्कोहलिक का मरीज बताया गया था। नशे का आदी होने के कारण दूसरे दिन से वह असामान्य व्यवहार करने लगा था।
याचिका के मुताबिक नीरज जेल में बंद कैदियों पर थूकने और काटने लगा था। इससे उसे मानसिक रोगी बताकर लोहे के गेट से बांधकर खुले में छोड़ दिया गया। उसका इलाज कराने के बजाय शारीरिक रूप से प्रताड़ना दी गई।
दायर याचिका में मांग की गई है कि प्रताड़ित करने वाले और मारपीट करने वालों के खिलाफ जांच हो। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हो। साथ ही मृतक के परिवार को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है।
जेल डॉक्टर का क्या कहना था ?
महासमुंद जिला जेल के डॉक्टर संजय दवे की रिपोर्ट के मुताबिक, वह नशे के कारण जेल में असामान्य व्यवहार करने लगा था, जिससे उसे जेल अस्पताल में दवा दी गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। विड्राल सिंप्टम्स होने से यह सब करने लगा था।
संजय दवे की रिपोर्ट के मुताबिक 15 अगस्त की सुबह नीरज को गंभीर हालत में सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। रिपोर्ट में नशा छोड़ने के लक्षणों (विड्राल सिंप्टम्स) से मौत बताया गया था।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला दबाने और 35 जख्मों का जिक्र
आदिवासी युवक की जेल में मौत के बाद समाज ने खूब बवाल किया। शिकायतों के आधार पर मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई गई। 17 अगस्त 2024 की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।मेडिकल टीम की रिपोर्ट के मुताबिक, नीरज की मौत गला दबाने से हुई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक नीरज के शरीर पर 35 जख्मों के निशान थे, जिनमें से 8 आंतरिक थीं और घातक साबित हुईं। यह भी स्पष्ट हुआ की 12 अगस्त को गिरफ्तारी के वक्त उसके शरीर पर कोई चोट नहीं थी।