नारायणपुर, छत्तीसगढ़:
प्रदेश में सक्रिय गोतस्करों के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। नारायणपुर जिले में अंतरराज्यीय गोतस्करी गिरोह के चार सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार कर 34 मवेशियों को कटने से पहले ही बचा लिया गया है। पुलिस को यह सफलता गुप्त सूचना के आधार पर मिली।
तेलंगाना ले जा रहे थे वध के लिए मवेशी, बीच रास्ते में हुई कार्रवाई
धौड़ाई थाना पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि मवेशियों से भरा वाहन जिले से होकर तेलंगाना की ओर जा रहा है। पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुड़िया के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने करहीभदर–गीदम मार्ग पर वाहनों को रोका और तलाशी ली।
तलाशी के दौरान वाहन में ठूंस-ठूंसकर भरे गए 34 मवेशी बरामद हुए, जिन्हें वध के लिए ले जाया जा रहा था।
आरोपी गिरोह पिछले 10 सालों से गोतस्करी में संलिप्त
गिरफ्तार आरोपियों में शामिल हैं:
- दशाराम मुरामी (48)
- दियारू राम मुरामी (40)
- शंकर लेकाम (19)
- रामधर बेके (30)
ये सभी दंतेवाड़ा जिले के गीदम क्षेत्र के निवासी हैं और बीते 8–10 वर्षों से लगातार मवेशियों की तस्करी कर रहे थे।
वैध दस्तावेज नहीं, क्रूरता से किया गया था मवेशियों का परिवहन
आरोपियों से जब दस्तावेज मांगे गए तो कोई पशु क्रय-विक्रय, परिवहन या व्यापार से संबंधित वैध कागजात पेश नहीं कर सके। इसके अतिरिक्त, मवेशियों को जिस तरह से वाहन में ठूंसकर भरा गया था, वह पशु क्रूरता अधिनियम का सीधा उल्लंघन था।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, अन्य तस्करों की तलाश जारी
पुलिस ने आरोपियों पर निम्न धाराओं में मामला दर्ज किया है:
- पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धारा 11(1)(घ)
- कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 की धारा 4, 6 और 10
फिलहाल चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है। बरामद किए गए सभी मवेशियों को सुरक्षित गोठानों में शिफ्ट कर दिया गया है।
क्या बोले पुलिस अधिकारी?
“यह एक सुनियोजित अंतरराज्यीय गिरोह है, जो सालों से मवेशियों की अवैध तस्करी कर रहा था। हमारी टीम लगातार इनपर नजर रख रही थी। अब इस कार्रवाई के बाद इनके नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ा जा रहा है।”
– एसपी रोबिनसन गुड़िया, नारायणपुर
निष्कर्ष | CG Bhaskar की टिप्पणी
छत्तीसगढ़ में गोतस्करी एक संगठित अपराध के रूप में काम कर रही थी, जिस पर अब पुलिस ने सख्ती दिखाई है। ऐसे मामलों में तेज और प्रभावी कार्रवाई न सिर्फ कानून व्यवस्था मजबूत करती है, बल्कि सामाजिक चेतना का भी प्रतीक बनती है।