दिल्ली , 12 अप्रैल 2025 :
Delhi Crime News: दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नलों पर भीख मांगते दो ट्रांसजेंडरों की असलियत सामने आई तो दिल्ली पुलिस भी हैरान रह गई. एंटी स्नैचिंग सेल, दक्षिण-पश्चिम जिले की टीम ने जब गुप्त सूचना के आधार पर दोनों को पकड़ा तो यह एक मामूली गिरफ्तारी नहीं बल्कि अवैध घुसपैठ, फर्जी दस्तावेज और इंटरनेशनल नेटवर्क की एक जटिल परत खोलने वाली कार्रवाई साबित हुई.
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार माही और तान्या की पहचान बांग्लादेशी नागरिकों के रूप में हुई है जो फर्जी आधार और पैन कार्ड के सहारे खुद को भारतीय बता रही थीं. पूछताछ में उन्होंने जो राज खोले वह न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए एक चुनौती है बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक अलार्म है.
नकाब पहचान छिपाने का खेल
दोनों ट्रांसजेंडर महिपालपुर इलाके में किराए के मकानों में रह रही थीं. ट्रैफिक सिग्नलों पर भीख मांग कर गुजारा कर रही थीं, लेकिन यह महज दिखावा था. दरअसल, वे इस पहचान के पीछे छुपकर दिल्ली में वर्षों से अवैध रूप से रह रही थीं. खुद को ट्रांसजेंडर दिखाने के लिए इन्होंने हार्मोनल इलाज और छोटी सर्जरी तक करवाई थी. ताकि ना सिर्फ लोगों की नजरों से बच सकें बल्कि पुलिस की पकड़ में भी न आएं.
मोबाइल में मिला बांग्लादेश का सबूत
दिल्ली पुलिस गिरफ्तारी के वक्त बरामद मोबाइल फोन में प्रतिबंधित IMO ऐप मिला, जिससे वे बांग्लादेश में अपने परिवार से बात करती थीं. मोबाइल में एक आरोपी की बहन का बांग्लादेशी पहचान पत्र भी मौजूद था. दूसरे फोन से फेसबुक मैसेंजर के जरिए बांग्लादेशी संपर्कों से बातचीत चल रही थी.
फर्जी दस्तावेज और नेटवर्क
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पिंकी और इरारा उर्फ नताशा नाम की दो अन्य बांग्लादेशी ट्रांसजेंडर ने उन्हें भारत में घुसने, दिल्ली पहुंचने और फर्जी दस्तावेज बनवाने में मदद की. इसके लिए भारतीय एजेंटों का इस्तेमाल किया गया. यह पूरा नेटवर्क न सिर्फ दस्तावेज बनवाता है बल्कि इन्हें दिल्ली जैसे महानगरों में बसाने का काम भी करता है.
दिल्ली पुलिस वसंत कुंज साउथ थाना पुलिस ने इनके खिलाफ थाने में विदेशी अधिनियम की धारा 14/14A के तहत मामला दर्ज किया है. जल्द ही भारतीय दंड संहिता और आधार अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी जाएंगी. फिलहाल, दोनों को कानूनी औपचारिकताओं के बाद FRRO के डिपोर्टेशन सेंटर भेज दिया गया है.