मेरठ, 13 अप्रैल। Saurabh Murder Case : उत्तर प्रदेश के मेरठ के सौरभ हत्याकांड ने देश को झकझोर कर रख दिया। लंदन से मेरठ लौटे सौरभ की हत्या उसकी पत्नी मुस्कान रस्तोगी ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ मिलकर कर दी थी। सौरभ के कत्ल के बाद उसके शव को टुकड़े-टुकड़े कर नीले रंग के ड्रम में डाल दिया था। फिर उस ड्रम में सीमेंट का घोल डालकर उसे सील कर दिया था।
दोनों आरोपी मुस्कान और उसका प्रेमी साहिल जेल में बंद हैं। दोनों के खिलाफ पुलिस के पास प्रर्याप्त सबूत है। इस बीच, केस में एक नया मोड़ तब आया जब पता चला कि आरोपी मुस्कान प्रेग्नेंट है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जेल में बंद प्रेग्नेंट महिला के लिए संविधान के तहत क्या नियम हैं, और कोर्ट इस मामले में कैसे फैसले लेता है?
संविधान में क्या है नियम?
कोई महिला प्रेग्नेंट है तो उसे अन्य प्रेग्नेंट महिलाओं के साथ अलग बैरक में शिफ्ट किया जाता है।
प्रेग्नेंट महिला कैदी को मिलने वाली सभी सुविधाएं जैसे- नियमित जांच, खाना और मेंटल हेल्थ पर ध्यान दिया जाता है।
प्रेग्नेंट महिलाओं से कोई शारीरिक काम नहीं करवाए जाते (Saurabh Murder Case)हैं।
समय-समय पर जेल अस्पताल के डॉक्टर प्रेग्नेंट महिला की सेहत की जांच करते रहते हैं।
क्या सजा कम होती है?
सौरभ हत्याकांड में दोनों आरोपी मुस्कान और साहिल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। ऐसे में गर्भवती होने के बावजूद मुस्कान को कोर्ट से किसी तरह का राहत मिलना मुश्किल है। उसकी सजा में छूट सिर्फ इस सूरत में मिल सकती है, जब कोर्ट मानवीय आधार पर कोई फैसला लेता है।
वहीं आईपीसी (IPC) और सीआरपीसी (CrPC) की धारा में प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए कुछ विशेष धाराएं और कानून हैं। ऐसे में उसे जेल में रखकर सजा देना अमानवीय हो सकता है, इतना ही नहीं यह उसके बच्चे के अधिकारों का भी हनन (Saurabh Murder Case)होगा। हालांकि, मुस्कान के केस में ऐसी स्थिति पुलिस को नजर नहीं आ रही है।
क्या जमानत मिलेगी?
भारतीय कानून के अनुसार, प्रेग्नेंट महिलाओं को मानवीय आधार पर जमानत दी जा सकती है। दिल्ली और बॉम्बे हाई कोर्ट भी ऐसे मामलों में राहत दे चुके हैं। ऐसे में मुस्कान को जेल में विशेष सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन सजा से छूट नहीं दी जा सकती है।
फांसी की सजा होने पर नियम
सीआरपीसी की धारा 416 के अनुसार, अगर महिला की फांसी की सजा तय की गई है। अगर इसके पहले वह प्रेग्नेंट पाई गई तो कोर्ट उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल देता है। भारतीय न्याय व्यवस्था ऐसा मानती है कि अजन्मे बच्चे का कोई दोष नहीं (Saurabh Murder Case)है। ऐसे में जब तक वह बच्चा दुनिया में जन्म नहीं ले लेता और उसकी देखभाल का सही समय पूरा नहीं हो जाता है, तब तक के लिए महिला की फांसी को रोका जाता है।